PM मोदी की सुरक्षा चूक मामले में अफसरों पर गिरी गाज, कार्रवाई के लिए जांच शुरू; दोषी अधिकारी भी रख सकेंगे अपना पक्ष
PM Modi Security Case पंजाब में साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चूक के मामले में जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है। यह जांच पंजाब सरकार ने पंजाब मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन रियायर्ड न्यायमूर्ति संत प्रकाश को जांच अधिकारी को नियुक्त किया है। कम से कम दो साल बाद सरकार ने तीन वरिष्ठ पुलिस अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा चूक के मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है। राज्य सरकार ने पंजाब मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संत प्रकाश को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। जो अखिल भारतीय सेवा (डीसीआरबी) के साथ पठित अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 की धारा 8, नियम, 1958, नियम 6(1) और इसके उपनियम (बी) (ii) के तहत जांच करेंगे।
फरीदकोट डीआइजी इंद्रबीर सिंह समेत कई अफसर रहे शामिल
दोषी अधिकारियों के पक्ष को भी सुना जाएगा। जिन तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का फैसला लिया गया है उनमें पूर्व डीजीपी एस चट्टोपाध्याय, तत्कालीन फरीदकोट के डीआइजी इंद्रबीर सिंह और तत्कालीन फिरोजपुर एसएसपी हरमबीर सिंह हंसराज्य अधिकार पैनल के प्रमुख को पूर्व डीजीपी एस चट्टोपाध्याय, तत्कालीन फरीदकोट डीआइजी इंद्रबीर सिंह और तत्कालीन फिरोजपुर एसएसपी हरमबीर सिंह हंस के शामिल है।
पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए शुरू
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा उल्लंघन के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जांच समिति की ओर से दोषी ठहराए जाने के लगभग दो साल बाद सरकार ने तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई है।
ध्यान रहे कि 5 जनवरी, 2022 को बठिंडा हवाई अड्डे से फिरोजपुर तक सड़क मार्ग से यात्रा करते समय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का काफिला एक फ्लाईओवर पर आधे घंटे तक फंस गया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जांच का आदेश दिया था।
सीएम को धन्यवाद कहना, मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया: पीएम मोदी
लगभग 300 प्रदर्शनकारियों की उग्र भीड़ फ्लाईओवर के अंत में एकत्र हो गई, जिससे पीएम की सुरक्षा करने वाले विशेष सुरक्षा समूह को काफिला रोकना पड़ा और वापस हवाई अड्डे की ओर जाना पड़ा।
दिल्ली लौटने से पहले पीएम मोदी ने पंजाब के अधिकारियों से कहा अपने सीएम को धन्यवाद कहना, कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया। तब राज्य में चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी।
जांच अधिकारी के समक्ष रुख करें स्पष्ट
12 जनवरी, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा चूक की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष समिति की अध्यक्षता के लिए पूर्व न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा को नियुक्त किया। समिति ने इन अधिकारियों के खिलाफ बड़े जुर्माने की सिफारिश करते हुए मार्च 2022 में अपनी रिपोर्ट सौंपी।
दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने से पहले एक जांच अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए। नियमों के मुताबिक, दोषी अधिकारियों को उन्हें सौंपे गए आरोप पत्र के आधार पर जांच अधिकारी के समक्ष अपना रुख स्पष्ट करने के लिए समय दिया जाना चाहिए।
लापरवाही बरतने वाले अफसरों को किया गया निलंबित
इन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का कदम केंद्रीय गृह मंत्रालय की फटकार के बाद उठाया गया। मंत्रालय ने पिछले साल मार्च और नवंबर में पंजाब के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सुरक्षा चूक के लिए कार्रवाई में देरी पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।
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यह गृह मंत्रालय के दबाव में ही था कि सरकार ने बठिंडा के पुलिस अधीक्षक गुरबिंदर सिंह संघा और छह जूनियर अधिकारियों को पीएम की सुरक्षा में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया और उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
बठिंडा एसपी को किया गया निलंबित
गृह विभाग द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, गुरबिंदर सिंह, जो बठिंडा एसपी के रूप में तैनात थे, को दो डीएसपी-रैंक अधिकारियों परसन सिंह और जगदीश कुमार के साथ तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। सरकार द्वारा निलंबित किए गए अन्य लोगों में दो निरीक्षक, एक उप-निरीक्षक और एक सहायक उप-निरीक्षक शामिल हैं।
राज्य सरकार ने तत्कालीन एडीजीपी (कानून और व्यवस्था) नरेश अरोड़ा, तत्कालीन एडीजीपी (साइबर अपराध) जी नागेश्वर राव, तत्कालीन आईजी (पटियाला रेंज) मुखविंदर सिंह छीना से स्पष्टीकरण मांगने का भी फैसला किया था।
तत्कालीन आईजी (काउंटर इंटेलिजेंस) राकेश अग्रवाल, तत्कालीन डीआईजी (फरीदकोट) सुरजीत सिंह और तत्कालीन एसएसपी (मोगा) चरणजीत सिंह से पूछा गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल की सिफारिश के अनुसार उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए।
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