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    PM Modi Repeal Farm Laws: चंडीगढ़ के मटका चौक पर ढोल की थाप डाला भंगड़ा, पीएम की तारीफ की

    By Ankesh ThakurEdited By:
    Updated: Fri, 19 Nov 2021 03:59 PM (IST)

    PM Modi Repeal Farm Laws प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरपर्ब के मौके पर शुक्रवार को तीनों कृषि कानून वापस लेने के एलान किया। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद उनके इस फैसले का जगह-जगह स्वागत किया गया। लोगों ने भंगड़ा भी डाला।

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    मटका चौक पर भंगड़ा डालते किसान समर्थक।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। PM Modi Repeal Farm Laws: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरपर्ब के मौके पर शुक्रवार को तीनों कृषि कानून वापस लेने के एलान किया। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद उनके इस फैसले का जगह-जगह स्वागत किया गया। वहीं, चंडीगढ़ में तो जश्न शुरू हो गया। कृषि कानूनों को रद करने की मांग करने वाले लोग ढोल की थाप नाचने लगे। नौ महीने से मटका चौक पर कृषि बिल के विरोध में बैठे किसान समर्थकों ने ढोली बुलाकर जमकर भंगड़ा डाला। कानून वापस लेने के फैसले को प्रधानमंत्री का बेहतरीन कदम बताया।

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    मटका चौक पर धरना पर बैठे किसानों और उनके समर्थकों का कहना था कि भले ही फैसला लेने में समय ज्यादा लगा है लेकिन किसानों की आवाज को सुना गया है इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हैं और उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री द्वारा लिया गया हर निर्णय देश हित में हो। जश्न कार्यक्रम में पहुुंचे किसान गुरपाल ने कहा कि कृषि कानून के विरोध में किसानों को आर्थिक और जानी नुकसान का सामना करना पड़ा है। हम प्रधानमंत्री से उम्मीद करते हैं कि वह जल्द ही उस तरफ भी ध्यान देंगे।

    मटका चौक पर भंगड़ा डालते लोग।

    लोकतंत्र की जीत, लोकहित का फैसला

    रजिडेंस वेलफेयर सोसायटी सेक्टर-46 के प्रधान राजिंदर सिंह बिल्लू ने कहा कि गुरपर्ब पर लिया गया प्रधानमंत्री का निर्णय बेहतर है। उनके फैसले से आज साफ हो गया कि भारत में लोकतंत्र जिंदा है। लोगों की आवाज को सुनकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निर्णय लिया और किसानों के साथ आम लोग भी इस फैसले से खुश हैं। जहां पर ज्यादा लोगों को खुशी मिले राजनीति में उसी को लोकहित कहा जाता है। वहीं सेक्टर-46 आरडब्ल्यूए के विनीत अरोड़ा ने कहा कि संघर्ष हमेशा बलिदान मांगता है जो कि किसानों ने दिया है लेकिन आखिर जीत भी मिली है। हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री का निर्णय देशहित में है और हम इसका स्वागत करते हैं।

    किसानों ने दिया बलिदान, जीत भी उनकी हुई

    आर्गेनिक शेयरिंग स्वयंसेवी संस्था के सदस्य राज चड्ढा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने लोगों की आवाज सुनकर निर्णय लिया है। फैसला आने में भले ही समय लगा है लेकिन यह लोकतंत्र की जीत है। इस फैसले से साफ होता है कि देश का हर राजनीतिक दल लोकतंत्र का सम्मान करता है। वहीं शेखर मोदगिल ने कहा कि 14 महीनों से किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे। इस मांग को पूरा करवाने के लिए उन्होंने बलिदान भी दिया है लेकिन अंत में जीत भी पाई है। प्रधानमंत्री के निर्णय का सभी शहरवासी स्वागत करते है।

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