PGI चंडीगढ़ के डॉ. सुनील बोले- 84 फीसद लोगों को उनकी स्किन की वजह से सहना पड़ता है अपमान
प्रोफेसर सुनील डोगरा ने बताया कि सोरायसिस से पीड़ित लोगों दूसरे लोग अपमानजनक रूप से घूरते हैं तो उन्हें यह अपमान लगता है। आमतौर पर इसे सौंदर्य संबंधी समस्या माना जाता है जबकि सोरायसिस एक क्रॉनिक ऑटो-इम्यून समस्या है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। ग्लोबल सोरायसिस सर्वे के अनुसार चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि 84 फीसद लोगों को उनकी स्किन की वजह से भेदभाव और अपमान का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को लेकर लोगों में गलतफहमी, सोरायसिस रोगियों के शरीर के खुले हिस्से पर नजर आने वाली छिलकेदार त्वचा और रैशेज की वजह से उन्हें छूने और उनके नजदीक जाने से भी रोकती है। यह कहना है पीजीआइ के डर्मेटोलॉजिस्ट विभाग के प्रोफेसर सुनील डोगरा का।
प्रोफेसर सुनील डोगरा ने बताया कि सोरायसिस से पीड़ित लोगों दूसरे लोग अपमानजनक रूप से घूरते हैं तो उन्हें यह अपमान लगता है। आमतौर पर इसे सौंदर्य संबंधी समस्या माना जाता है, जबकि सोरायसिस एक क्रॉनिक ऑटो-इम्यून समस्या है, जिसका प्रभाव उस मरीज की रोजमर्रा की छोटी से छोटी बातों पर पड़ता है। यह सोनल जैसे सोरायसिस मरीजों के भेदभाव पर तत्काल ध्यान देने और लोगों के बीच जागरूकता फैलाने की जरूरत पर जोर देता है। हालांकि नई तकनीक और उन्नत उपचार के साथ सोरायसिस को अब नियमित रूप से त्वचा विशेषज्ञ के परामर्श से प्रबंधित किया जा सकता है।
डॉ. सुनील डोगरा ने बताया कि बायोलॉजिक्स जैसे थैरेपी से गंभीर सोरायसिस रोगियों में उनकी स्किन की इस बीमारी को कुछ हद तक ठीक करने में कारगर है। उन्होंने बताया कि वह लगभग 30 फीसद सोरायसिस रोगियों को अलग-अलग तरह की मनोवैज्ञानिक समस्याओं से गुजरते देख चुके हैं, इसमें डिप्रेशन या एंग्जाइटी भी शामिल है। पीजीआइ के वेनेरोलॉजी और लेप्रोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. तरुण नारंग ने बताया कि सोरायसिस बीमारी से पीड़ित लोगों को जिन रूढ़ियों या भेदभाव का सामना करना पड़ता है। शुरुआत में यह उनके मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है और इससे वे त्वचा विशेषज्ञ से परामर्श करने से भी बचते हैं। हालांकि स्किन स्पेशलिस्ट की देखरेख में शुरुआती चरण में समस्या का पता चलना और उसका उचित प्रबंधन, सोरायसिस और उससे जुड़ी परेशानियों को रोकने के लिए जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि सोरायसिस रोगियों को नियमित रूप से त्वचा रोग विशेषज्ञ से सलाह लेने के लिए राजी करें और इस बात का ध्यान रखें कि वे बताए गए उपचार के शेड्यूल का पालन करें।
सोरायसिस मरीजों को सही सलाह और उपचार की जरूरत
तनाव के कारकों की वजह से सोरायसिस की समस्या बढ़ती है। रोगी के आस-पास तनावपूर्ण स्थितियों को कम करना, काम का बोझ कम करना, उन्हें आराम का मौका देना, काम की जिम्मेदारियों को थोड़ा कम करके, तनाव की वजह से इस बीमारी के बढ़ने को दूर रखने में मददगार हो सकती है। सोरायसिस रोगियों के लिए एक समावेशी माहौल बनाने की तरफ कदम बढ़ाना होगा और उन्हें अपनी त्वचा के साथ सहज बने रहने और आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए प्रेरित करना होगा। सही सलाह और ट्रीटमेंट सोरायसिस मरीजों को बीमारी लड़ने में मदद कर सकता है। ऐसे मरीजों को सम्मान उन्हें भरपूर जिंदगी जीने में मदद कर सकता है।
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