हवा में मौजूद कण सीधे खून में घुसकर धमनियों को संकुचित कर रहे, चंडीगढ़ में स्वच्छ हवा प्रदान करने वाले पेड़ कम
बदलते जीवन और बढ़ते प्रदूषण के कारण हृदय रोगों का खतरा बढ़ रहा है। पीजीआई के प्रोफेसर यशपाल शर्मा ने बताया कि प्रदूषित हवा में मौजूद कण धमनियों को संकुचित करते हैं जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। चंडीगढ़ में हरियाली तो है लेकिन स्वच्छ हवा देने वाले पेड़ कम हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार सांस से जुड़ी मौतों में 25% दिल की बीमारियों से होती हैं।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। बदलते जीवन व बढ़ते प्रदूषण का असर सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अब दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। 29 सितंबर को मनाए जाने वाले विश्व हृदय दिवस पर पीजीआई के एडवांस कार्डियक सेंटर के प्रमुख प्रोफेसर यशपाल शर्मा ने बताया कि प्रदूषित हवा में मौजूद महीम कण सीधे खून में घुसकर धमनियों को संकुचित कर देते हैं, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
पिछले कुछ वर्षों में अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ में पेड़ों की संख्या अधिक होने से हरियाली देखने को मिलती है, लेकिन स्वच्छ हवा प्रदान करने वाले पेड़ कम हैं।
एक शोध के अनुसार, लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने वाले लोगों में स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा कई गुना अधिक बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में होने वाली सांस से जुड़ी मौतों में से 25 प्रतिशत मौतें दिल की बीमारियों से जुड़ी होती हैं और इसमें वायु प्रदूषण की बड़ी भूमिका है।
ऐसे करें बचाव
-घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनें, खासकर सुबह और शाम के समय, जब प्रदूषण अधिक होता है।
-रोजाना ताजे फल और हरी सब्जियां खाएं ताकि शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा बनी रहे।
-नियमित रूप से योग और प्राणायाम करें, जो फेफड़ों और दिल को मजबूत बनाते हैं।
-घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और पौधों को लगाएं, जो आक्सीजन की मात्रा बढ़ाते हैं।
-प्रदूषित वाले इलाकों में बाहर की गतिविधियों को सीमित करें।
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