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    पैरोल का दुरुपयोग समाज के लिए गंभीर खतरा, उम्रकैद की सजा से भागे हत्यारे केे पकड़े जाने पर कोर्ट की टिप्पणी

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Mon, 24 Nov 2025 05:03 PM (IST)

    चंडीगढ़ की अदालत ने पैरोल से भागे हत्यारे इंदरजीत सिंह को तीन महीने की अतिरिक्त सजा सुनाई। इंदरजीत 24 साल पुराने हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा था और 28 दिन की पैरोल पर भाग गया था। अदालत ने पैरोल के दुरुपयोग को समाज के लिए गंभीर खतरा बताया। इंदरजीत को अंबाला जेल से गिरफ्तार किया गया था।

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    जिला अदालत ने की टिप्पणी। पैरोल के दुरुपयोग को बताया समाज के लिए गंभीर खतरा।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पैरोल का दुरुपयोग समाज के लिए गंभीर खतरा है। जिला अदालत ने यह टिप्पणी उम्रकैद की सजा में पैरोल से भागे हत्यारे के पकड़े जाने पर की है। हत्यारे कैदी इंदरजीत सिंह उर्फ लाली को तीन महीने की सजा सुनाई है। केस के मुताबिक इंदरजीत 24 साल पुराने हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा था।

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    19 जुलाई 2024 को वह 28 दिन की पैरोल पर गया था, लेकिन 17 अगस्त 2024 तक जेल में वापस नहीं लौटा। इसलिए उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया। जेल प्रशासन ने इस संबंध में डीएसपी के माध्यम से एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। इस पर इंदरजीत के खिलाफ पंजाब गुड कंडक्ट प्रिजनर्स टेंपरेरी रिलीज एक्ट 1962 के तहत केस दर्ज किया गया था।

    जांच के दौरान पुलिस को पता लगा था कि वह किसी अन्य मामले में पकड़ा गया है और सेंट्रल जेल अंबाला में बंद है। ऐसे में पुलिस ने अंबाला जेल से प्रोडक्शन वारंट पर आरोपित को गिरफ्तार किया और उसके खिलाफ चंडीगढ़ जिला अदालत में चार्जशीट दाखिल की।

    मुकदमे के दौरान अदालत ने उसे दोषी करार देते हुए तीन महीने की सजा सुनाई। फैसले में अदालत ने कहा कि पैरोल का दुरूपयोग समाज के लिए गंभीर खतरा है।

    24 साल पहले साथी संग मिलकर की थी हत्या

    इंदरजीत ने 24 साल पहले अपने साथी रोहित मक्कड़ के साथ मिलकर सेक्टर 44 निवासी 55 वर्षीय हरविंदर सिंह बराड़ की उनके घर में घुसकर हत्या की थी। 14 फरवरी 2001 को सुबह करीब 11:50 बजे कंट्रोल रूम को इस वारदात को सूचना मिली थी।

    मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने घर के पीछे का गेट खुला पाया और अंदर प्रवेश कर देखा कि बराड़ खून से लथपथ मृत पड़े थे। पुलिस ने जांच के दौरान दोनों को गिरफ्तार कर लिया था। दो साल चले मुकदमे के बाद 2003 में इंदरजीत और रोहित को उम्रकैद की सजा हो गई थी।