पर्यावरण को स्वच्छ रखने के साथ रोजगार का अच्छा साधन है पेपर बैग
प्लास्टिक मुक्त शहर अभियान के तहत लोगों को प्लास्टिक का प्रयोग न करने का आह्वान किया था। इसके साथ ही लोगों को पेपर बैग का प्रयोग करने के लिए जागरूक किया गया। आज यानि 12 जुलाई को दुनिया भर में पेपर बैग डे मनाया जाता है।

वैभव शर्मा, चंडीगढ़
प्लास्टिक मुक्त शहर अभियान के तहत लोगों को प्लास्टिक का प्रयोग न करने का आह्वान किया था। इसके साथ ही लोगों को पेपर बैग का प्रयोग करने के लिए जागरूक किया गया। आज यानि 12 जुलाई को दुनिया भर में पेपर बैग डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे कई कारण माने जाते हैं, जिसमें मुख्य प्लास्टिक का प्रयोग न के बराबर करना है। वहीं, पेपर बैग कई गरीब लोगों के रोजगार का साधन भी हैं। चंडीगढ़ में बनी कॉलोनियों में रहने वाले लोगों के लिए यह रोजगार का अच्छा साधन है और वह घर में ही पेपर बैग बनाकर दुकानों पर बेचते हैं। इंदिरा कॉलोनी, धनास, सारंगपुर, डड्डूमाजरा, बापूधाम कॉलोनी के अलावा मौली जागरां में भी गरीब लोग घरो में पेपर बैग बना कर दुकानों पर बेचते हैं। यह दिन मनाने का उद्देश्य प्लास्टिक कचरे को कम करने में मदद करने के लिए पेपर बैग का उपयोग करने के बारे में जागरूकता फैलाना है। पेपर बैग हानिकारक प्लास्टिक की थैलियों के लिए एक पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है। मंडी के अलावा दुकानों में मिल रहे पेपर बैग
बापूधाम कॉलोनी स्थित हर्ष डेयरी के मालिक नितिन भारद्वाज ने बताया कि उन्हें करीब तीन साल से ज्यादा समय हो गया है प्लास्टिक का प्रयोग हुए। उनकी दुकान पर जो भी सामान लेने आता है उन्हें सामान पेपर बैग में ही दिया जाता है। इसके अलावा प्लास्टिक के मुकाबले पेपर बैग सस्ता भी पड़ जाता है। 100 फीसद होते हैं रीसाइकिल
पेपर बैग 100 फीसद रीसाइकिल किए जा सकते हैं और सिर्फ एक महीने के भीतर विघटित हो सकते हैं। एक पेपर बैग में लगभग 10-14 सामान तक रखे जा सकते हैं और वे काफी मजबूत होते हैं। प्लास्टिक बैग की तुलना में पेपर बैग बनाने में कम ऊर्जा लगती है। पेपर बैग पालतू जानवरों, अन्य जानवरों के लिए सुरक्षित हैं। इसका इस्तेमाल खाद बनाने के लिए भी किया जा सकता है। पेपर बैग से गरीबों को मिलता है रोजगार
प्लास्टिक बैग तो फैक्ट्री से बनकर आते हैं, जिसका पैसा उनके मालिकों को मिलता है, लेकिन पेपर बैग गरीब मजदूर अपने घर पर ही बनाते हैं और लोकल लेवल पर उसे बेचते हैं। इससे उन्हें रोजगार भी मिलता है। इसका इस्तमाल बढ़ने से यह छोटे व्यापारी और इसे बनाने वाले लोगों की हालत में भी सुधार आएगा।

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