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    अब शहीद-ए-आजम के नाम से नहीं जाना जाएगा शादनाम चौक, पाकिस्तान ने भगत सिंह के नाम पर किया विरोध

    पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भगत सिंह को आतंकवादी माना जाता है। राज्य सरकार ने लाहौर के शहीद-ए-आजम भगत सिंह चौक का नाम बदलने और उनकी प्रतिमा लगाने की योजना रद्द कर दी है। यह कदम एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी की राय के बाद उठाया गया है। भगत सिंह को 23 मार्च 1931 को लाहौर के इसी चौक पर फांसी दी गई थी।

    By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 10 Nov 2024 10:29 PM (IST)
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    पाकिस्तानी पंजाब की सरकार ने भगत सिंह को माना ‘आतंकवादी’।

    पीटीआई, लाहौर। भारत के शिरोधार्य ‘शहीद-ए-आजम’ भगत सिंह को पाकिस्तान के पंजाब राज्य की सरकार महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी व शहीद नहीं, अपितु एक ‘आतंकवादी’ मानती है। इसलिए राज्य सरकार ने लाहौर शहर के शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने तथा वहां उनकी प्रतिमा स्थापित करने की योजना हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद रद्द कर दी है।

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    राज्य सरकार ने यह कदम इस्लामी कट्टर विचारों वाले एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी की राय के बाद उठाया है। भगत सिंह को उनके दो साथियों राजगुरु व सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को 23 वर्ष की आयु में ब्रिटिश शासकों ने लाहौर के इसी शादमान चौक पर फांसी दी थी।

    प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव रद्द

    उन पर औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ साजिश रचने व ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जान पी सान्डर्स की हत्या करने का आरोप लगाया गया था।

    लाहौर उच्च न्यायालय में भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान के अध्यक्ष इम्तियाज रशीद कुरैशी द्वारा दायर अवमानना याचिका पर लाहौर महानगर निगम की ओर से सहायक महाधिवक्ता असगर लेघारी ने शुक्रवार को जवाब दाखिल करते हुए कहा कि लाहौर शहर की जिला सरकार की शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनकी प्रतिमा लगाने की प्रस्तावित योजना को कमोडोर (सेवानिवृत्त) तारिक मजीद द्वारा प्रस्तुत की गई टिप्पणी के मद्देनजर रद्द कर दिया गया है।’

    'भगत सिंह क्रांतिकारी नहीं, अपराधी थे'

    शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने के लिए पंजाब सरकार द्वारा नियुक्त नाम-निर्धारण समिति के सदस्य कमोडोर (सेवानिवृत्त) तारिक मजीद ने अपनी टिप्पणियों में दावा किया कि भगत सिंह क्रांतिकारी नहीं बल्कि अपराधी थे। 

    आज की शब्दावली में वह ‘आतंकवादी’ थे जिन्होंने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी तथा इस अपराध के लिए उन्हें दो साथियों के साथ फांसी पर लटका दिया गया था। मजीद ने एनजीओ पर भगत सिंह को क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी के रूप में चित्रित करने के लिए ‘फर्जी प्रचार’ करके एक भयावह योजना बनाने का भी आरोप लगाया।

    अदालत के आदेश को अभी तक लागू नहीं किया

    उन्होंने दावा किया कि उपमहाद्वीप के स्वतंत्रता संग्राम में भगत सिंह की कोई भूमिका नहीं थी। मजीद का कहना है कि भगत सिंह मुसलमानों के प्रति शत्रुतापूर्ण धार्मिक नेताओं से प्रभावित थे।

    याचिका में कहा गया कि लाहौर हाईकोर्ट के न्यायाधीश शाहिद जमील खान ने 5 सितंबर 2018 को संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी किए थे कि वे शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने के लिए कदम उठाएं लेकिन अदालत के आदेश को अभी तक लागू नहीं किया गया।

    भगत सिंह फाउंडेश सेवानिवृत्त कमोडोर मजीद को कानून नोटिस भेजेगा।

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