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    नहीं सुधरेगा पाकिस्तान! ऑपरेशन सिंदूर के बाद हथियारों की तस्करी में की पांच गुना बढ़ोतरी, 50 से ज्यादा तस्कर गिरफ्तार

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 05:46 AM (IST)

    पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अब पंजाब में अशांति फैलाने के लिए छद्म युद्ध का सहारा ले रही है। आईएसआई ने गैंगस्टरों और नशा तस्करों का नेटवर्क बनाया है, जिससे हथियारों की तस्करी बढ़ गई है। इस साल 362 हथियार बरामद हुए हैं और 50 से अधिक लोग गिरफ्तार हुए हैं। आईएसआई पंजाब में अराजकता फैलाना चाहती है, लेकिन पुलिस ने कई साजिशों को नाकाम किया है।

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    ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की पंजाब में हथियार तस्करी की नई चाल। फाइल फोटो

    रोहित कुमार, चंडीगढ़। पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब भारत से सीधे युद्ध के बजाय प्राक्सी वार के जरिए पंजाब में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रही है। अपने इस उद्देश्य के लिए आईएसआई ने गैंगस्टरों, नशा तस्करों और आतंकियों का एक बड़ा नेटवर्क बना लिया है।

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    इनके सहयोग से आईएसआई ने पंजाब में हथियारों की तस्करी बढ़ा दी है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सीमा पार से हो रही हथियारों की तस्करी में इस वर्ष पांच गुना वृद्धि दर्ज की गई है। इस साल अब तक 362 हथियार बरामद किए जा चुके हैं, जिनमें आरपीजी, एके-47 राइफलें, ग्रेनेड और इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईइडी ) शामिल हैं। इनमें से एक तिहाई बरामदगियां ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई हैं। पिछले वर्ष के दौरान कुल 81 हथियार की बरामद किए गए थे।

    इसकी पुष्टि पुलिस अधिकारियों ने भी की है। उनके मुताबिक हथियारों की तस्करी में ड्रोन मददगार बन रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, इस वर्ष अब तक 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें कई तस्कर ऐसे हैं जो ड्रोन के जरिए भेजे गए हथियारों को इकट्ठा करते समय पकड़े गए। वहीं, कुछ गिरफ्तार लोग ऐसे हैं जिन पर आतंकियों से सीधे संपर्क का संदेह है। सीमावर्ती जिलों अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर, फाजिल्का और बटाला में तस्करी की गतिविधियां सबसे अधिक हैं। 2022 से लेकर अब तक ज्यादातर बरामदगियां इन्हीं इलाकों में हुई हैं। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि ये क्षेत्र आइएसआइ समर्थित नेटवर्क के लिए सबसे संवेदनशील प्रवेश बिंदु बन गए हैं।

    अधिकारियों का कहना है कि आईएसआई की रणनीति पंजाब में अराजकता फैलाने, कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने और खालिस्तान समर्थक गतिविधियों के लिए माहौल तैयार करने की है। तस्करी का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि ड्रोन से हो रही हथियारों की तस्करी के लिए ग्रामीण इलाकों के युवकों को मामूली पैसों पर इन खेपों को उठाने के लिए इस्तेमाल किया गया है। आइएसआइ इंटरनेट मीडिया के जरिए अलगाववादी प्रचार और पैसे के लालच से युवाओं को तस्करी या हिंसक गतिविधियों की ओर धकेलने में लगी है।

    पुलिस व एजेंसियां मिलकर हर प्रयास को कर रहीं विफल: डीजीपी

    इस संबंध में डीजीपी गौरव यादव का कहना है कि पुलिस ने अत्याधुनिक हथियारों की तस्करी के अलावा कई आतंकी साजिशों को नाकाम किया है। पंजाब पुलिस, काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट, बीएसएफ और केंद्रीय एजेंसियों के आपसी तालमेल से साजिशों को नाकाम किया जा रहा है। जांच में यह भी सामने आया है कि अमेरिका, कनाडा और अन्य देशों से गैंगस्टर और आतंकी सीमा पार से हथियारों की तस्करी के लिए अपने गुर्गों का भी प्रयोग कर रहे हैं। ये हथियार जबरन वसूली, लक्षित हत्याओं और गिरोहों के बीच हिंसक झड़पों में भी इस्तेमाल हो रहे हैं।