लुधियाना उप चुनाव के बाद BJP में होगा बड़ा बदलाव, विजय रूपाणी के निधन के बाद खाली है प्रदेश प्रभारी की सीट
लुधियाना पश्चिमी विधान सभा सीट पर उपचुनाव के बाद भाजपा में संगठनात्मक बदलाव की संभावना है। प्रदेश प्रभारी विजय रूपाणी के निधन के बाद पार्टी को नया संगठन महामंत्री मिल सकता है। सुनील जाखड़ के प्रदेश अध्यक्ष बने रहने के आसार हैं। पार्टी ने उपचुनाव में पूरी ताकत झोंककर 2027 के विधान सभा चुनाव के लिए संकेत दिया है।

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। लुधियाना पश्चिमी विधान सभा सीट पर हो रहे उप चुनाव के संपन्न होने के बाद भारतीय जनता पार्टी में संगठनात्मक रूप से बड़ा बदलाव हो सकता है। प्रदेश प्रभारी व गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के अहमदाबाद हवाई जहाज दुर्घटना में निधन के बाद जहां अब यह सीट खाली हो गई हैं। वहीं, पार्टी को नया संगठन महामंत्री भी मिल सकता है।
वहीं, प्रदेश की कमान सुनील जाखड़ के हाथों में ही रह सकती है। जाखड़ क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पहली पसंद हैं। अहम बात यह हैं कि लुधियाना पश्चिमी सीट पर टिकट देने के लिए पार्टी ने अपने ही कैडर पर भरोसा जताया है, उसने संगठन में एक उत्साह का संचार भी किया है। वहीं, भाजपा ने यह भी संकेत दे दिया हैं कि पंजाब में अपने दम पर आगे बढ़ने के लिए तैयार है।
लुधियाना उप चुनाव के दौरान ऐसा पहली बार देखने को मिला जब भाजपा इतनी संजीदगी से चुनाव लड़ रही है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पार्टी प्रत्याशी जीवन गुप्ता के लिए वोट मांगने आ चुके हैं।
वहीं, लंबे समय तक पार्टी की गतिविधियों से दूर रहे प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ भी चुनाव में खासे सक्रिय नजर आए। हालांकि इस दौरान 12 जून को अनहोनी घटना में पार्टी के प्रदेश प्रभारी विजय रूपाणी का निधन हो गया।
पार्टी के उच्च स्तरीय सूत्र बताते हैं कि चुनाव परिणाम आने के बाद कुछ बड़े बदलाव होंगे। संगठन महामंत्री मंथरी श्रीवासुलू को पंजाब की जिम्मेदारी से मुक्ति किया जाना तय माना जा रहा है। संगठन महामंत्री की कार्यशैली पर सवाल खड़े होते रहे हैं। इसी की वजह से पार्टी के महामंत्री जगमोहन राजू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि बाद में वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया।
सूत्र बताते हैं कि संगठन महामंत्री के साथ पार्टी नेताओं की खींचतान के बीच विजय रूपाणी हमेशा ही पुल का काम करते थे। जानकारी के अनुसार प्रदेश की कमान सुनील जाखड़ के ही हाथों में रहेगी। जिसके पीछे मुख्य कारण यह हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद चाहते हैं कि वह ही पंजाब की कमान संभाले।
यही कारण हैं कि पद मुक्ति की इच्छा व्यक्त करने के बावजूद पार्टी ने करीब 11 महीने तक नए प्रधान की खोज नहीं की। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं, अब जो भी बदलाव होना है वह उप चुनाव के बाद होगा। उप चुनाव में पार्टी ने अपनी ताकत झोंक कर इस बात के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि उसका अगला लक्ष्य 2027 के विधान सभा चुनाव हैं।
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