विरासती स्मारकों को प्राइवेट हाथों में सौंपने का विरोध, शिअद व आप ने कैप्टन सरकार को घेरा
पंजाब सरकार की तरफ से विरासती स्मारकों को पीपीपी मॉडल के तहत प्राइवेट हाथों में सौंपने का शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने विरोध किया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब सरकार की तरफ से विरासती स्मारकों को पीपीपी मॉडल के तहत प्राइवेट हाथों में सौंपने का शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने विरोध किया है। शिअद का कहना है कि सरकार का सामाजिक तथा नैतिक कर्तव्य बनता है कि वह इन स्मारकों को भावी पीढ़ियों के लिए बनाएं रखे, लेकिन अब वह इससे पीछे हट रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने इसे सत्ताधारी राजनीतिज्ञों और अफसरों की संरक्षण में चल रहे माफिया की एक और किस्म करार दिया है।
अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने बाबा बंदा सिंह बहादुर मेमोरियल तथा छोटा तथा बड़ा घल्लूघारा स्मारकों को प्राइवेट कंपनियों को सौंपने का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि कांग्रेस सरकार ने अपने सर्किट हाउसों को हेरिटेज स्मारकों के बराबर रख दिया है ताकि स्मारकों के रखरखाव के लिए पैसे न खर्च करने पड़ें। यह निर्णय सिख समुदाय की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है, इससे धार्मिक भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचेगी। इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
उधर, आम आदमी पार्टी के विधायक व नेता प्रतिपक्ष हरपाल चीमा ने कहा कि सरकार के इस फैसले से जहां सैंकड़ों मुलाजिमों की नौकरियों पर गाज गिरेगी, वहीं नई सरकारी भर्ती के मौके हमेशा के लिए छीने जाएंगे। यही नहीं यह अरबों रुपये की विरासती संपत्ति कौडिय़ों के दाम में भू-माफिया के कब्जे में आ जाएगी।
हरपाल चीमा ने कहा कि कैप्टन सरकार बिल्कुल बादलों के रास्ते पर चल पड़ी है। बादलों ने अपने राज में जिस तरह रोपड़ के पिकासिया रेस्टोरेंट और वोट क्लब समेत अन्य पर्यटक स्थलों पर स्थित सरकारी संपत्तियों को पर्यटन विभाग से छीनकर प्राइवेट हाथों में बेच दिया था, उसी तरह कैप्टन सरकार भी बाबा बंदा सिंह बहादुर यादगार समेत कई स्मारकों और सरकारी सर्किट हाउसों को प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत निजी हाथों में सौंप रही है। चीमा ने इस संबंध में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह डीओ पत्र लिख मांग की है कि पंजाब सरकार इस फैसले पर फिर से विचार-विमर्श करके सरकारी संपत्तियों को प्रभावशाली तरीके से खुद चलाए।
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