प्ले ग्राउंड में तब्दील न हो सके शहर के ओपन स्पेस पार्क
पूर्व मेयर देवेश मोदगिल ने अपने कार्यकाल में शहर के सौ ओपन स्पेस पार्को को प्ले ग्राउंड में तब्दील करने का फैसला किया था।
विकास शर्मा, चंडीगढ़
पूर्व मेयर देवेश मोदगिल ने अपने कार्यकाल में शहर के सौ ओपन स्पेस पार्को को प्ले ग्राउंड में तब्दील करने का फैसला किया था। मोदगिल ने कार्यकाल खत्म होने से पूर्व तक सेक्टर -36 में एक ओपन स्पेस पार्क को तो प्ले ग्राउंड में तब्दील भी किया, लेकिन उनके जाने के बाद मेयर राजेश कालिया इस दिशा में कोई काम नहीं कर सके। इस दिशा में भले ही अधिकारी पार्कों को चिह्नित करने की बात करते रहे, लेकिन न तो किसी पार्क में कोई बोर्ड लगा और न ही ओपन स्पेस पार्कों की फेंसिग की गई। यह थी योजना
बच्चों को खेलने के लिए निगम की तरफ से 100 ओपन स्पेस पार्कों को चिह्नित किया गया था। इस योजना के तहत यह भी तय हुआ था कि अब इन पार्कों को बागबानी के हिसाब से डेवलप नहीं किया जाएगा। यह पार्क अब प्ले ग्राउंड बनाए जाएंगे। निगम की तरफ से इन पार्कों की फेंसिग की जाएगी और इनमें पीने के पानी की व्यवस्था की जाएगी। अधिकारियों ने भी नहीं दिखाई दिलचस्पी
फेडरेशन ऑफ सोशल वेलफेयर एसोसिएशन सेक्टर -39,40 के प्रेसीडेंट वीएन शर्मा ने बताया कि शहर में बच्चों को खेलने के लिए कोई जगह चिह्नित नहीं है। खेलों के महत्व को समझते हुए शहर के 100 ओपन स्पेस पार्कों को प्लेग्राउंड में तब्दील करने की घोषणा की गई थी, लेकिन अभी तक जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है। हम अपनी एसोसिएशन की तरफ से भी कई बार इस मामले में मांग रखी, लेकिन किसी भी अफसर ने इस मामले में दिलचस्पी नहीं दिखाई। सिर्फ प्लेग्राउंड ही नहीं इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार करे नगर निगम
सिटिजन एसोसिएशन सेक्टर -21 के प्रेसिडेंट बलजिदर सिंह ने बताया कि निगम ने जिस तरह से ओपन जिम लगाएं हैं, उसी तर्ज पर खेल से जुड़े एक्युपमेंट भी ओपन स्पेस पार्क में लगाए। वॉलीबॉल और बास्केटबॉल के कोर्ट बनाए, तभी बच्चे इन पार्कों में खेल सकें। उन्होंने बताया कि इतना ही स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में भी कई खेलों के कोच नहीं है। हमने कई बार स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट से मांग कर चुके हैं कि उन्हें इनकी देखरेख का जिम्मा दे दिया जाए, लेकिन इस दिशा में भी कोई काम नहीं हुआ है। एक बोर्ड तक नहीं लगा
वेलफेयर सोसाइटी -15 के प्रेसिडेंट सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि निगम ने सिर्फ कागजों में ही नोटिफिकेशन जारी कर शहर के 100 पार्कों को प्लेग्राउंड में तब्दील कर दिया। इन पार्कों में अन्य जरूरी सुविधाएं देने की बजाय अगर निगम इनमें एक बोर्ड भी लगा दे, तो भी बड़ी मेहरबानी होगी। उन्होंने बताया कि इन ओपन पार्कों में भी जब बच्चे खेलने के लिए जाते हैं तो वहां पर सैर करने वाले लोग उन्हें भगा देते हैं।
सिर्फ कागजों पर हो रहा है विकास
रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राजविंदर सिंह गुड्डू का कहना है कि हर कोई इस समस्या से वाकिफ है, लेकिन फिर बच्चों के प्लेग्राउंड बनाने को लेकर कोई आवाज नहीं उठाता है। कभी पार्क की खूबसूरती को लेकर तो कभी इससे होने वाली दिक्कत के नाम लोग इन बच्चों को खदेड़ देते हैं। दिक्कत यह है कि पार्षद और निगम अधिकारी सिर्फ कागजों पर ही विकास करवाने में यकीन रखते हैं।
ओपन स्पेस पार्कों को प्लेग्राउंड बनाने की योजना अच्छी है। इस योजना को जमीनी स्तर पर लाने की दिशा में जल्द काम शुरू होगा। अगले कुछ दिनों में चिह्नित किए पार्कों को प्लेग्राउंड में तब्दील करने की पहल होगी।
- राजबाला मलिक, मेयर, नगर निगम चंडीगढ़।
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