800 स्कूलों को बंद करने का मामला हाई कोर्ट पहुंचा, पंजाब सरकार को नोटिस
पंजाब सरकार के राज्य में 800 स्कूलों को बंद करने के फैसले पर हाई कोर्ट ने कहा कि क्यों न सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी जाए।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब सरकार द्वारा राज्य के 800 प्राइमरी स्कूल बंद किए जाने के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इस फैसले को चुनौती दे दी गई है । हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्यों न कोर्ट सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दे।
बता दें, स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने 20 विद्यार्थियों से कम संख्या वाले सरकारी प्राइमरी स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज करने का फैसला लिया है। इन स्कूलों के विद्यार्थियों को एक किलोमीटर के दायरे में स्थित दूसरे स्कूलों में शिफ्ट करने की योजना है। राज्य में ऐसे करीब 800 स्कूल हैं। इनमें 47 स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या 5 से भी कम है और 15 स्कूलों में तीन-तीन ही विद्यार्थी हैं। अगले शिक्षा सत्र से पहले इन स्कूलों को दूसरे स्कूलों मे मर्ज कर दिया जाएगा। 25 अक्टूबर से यह कवायद शुरू हो जाएगी।
स्कूलों को मर्ज करने के लिए पूर्व अकाली-भाजपा सरकार में ही सर्वे हो गया था। इस सर्वे में लगभग तय हो गया था कि कौन-कौन से स्कूल मर्ज किए जाने हैं। अब कांग्रेस सरकार ने इस फैसलों को लागू कर मर्ज होने वाले स्कूलों की सूची भी जारी कर दी है।
आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल और भाजपा ने सरकार के फैसले का विरोध किया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार को स्कूलों को मर्ज करने के बजाय विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने की कवायद करनी चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि कोई भी सरकार शिक्षा के सेक्टर की इस तरह अनदेखी नहीं कर सकती। शिक्षा कारोबार नहीं बल्कि समाज की जरूरत है। सरकार 12 हजार बच्चों के भविष्य से खेल रही है। मामला अब हाई कोर्ट पहुंच गया है। हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है।
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