पीके की सलाह पर हाई कोर्ट में कैप्टन सरकार ने कोटकपूरा गोलीकांड में मेरी रिपोर्ट को खारिज करवाया, कुंवर विजय का आरोप
कोटकपूरा मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक कुंवर विजय प्रताप ने विधानसभा में अपनी बात रखी। पूर्व आइपीएस ने कहा कि उनकी जांच रिपोर्ट को तत्कालीन कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने पीके के कहने पर खारिज करवाई थी।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी के विधायक व पूर्व आइपीएस अफसर कुंवर विजय प्रताप ने 15 अक्टूबर 2015 में हुए बेअदबी कांड के बाद कोटकपूरा गोलीकांड को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने विधानसभा में कहा कि 14 सितंबर को इस मामले की जांच कर रही एसआइटी प्रमुख एलके यादव ने सुखबीर बादल को तलब तो किया, लेकिन उनसे कोई पूछताछ नहीं की, बल्कि चाय-पकौड़े खिलाकर भेज दिया।
कुंवर ने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भी सीधा हमला बोला कि उनके सलाहकार प्रशांत किशोर के कहने पर कैप्टन ने मेरी रिपोर्ट को खारिज करवाया। वहीं, सुखबीर बादल का नाम आते ही शिरोमणि अकाली दल के विधायक डा. सुखविंदर सिंह सुक्खी ने स्पीकर से बोलने के लिए समय मांगा। स्पीकर द्वारा समय न दिए जाने के कारण शिअद ने सदन का बहिष्कार किया।
विधानसभा में शून्य काल के दौरान कुंवर विजय प्रताप ने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि एसआईटी प्रमुख होते हुए मैंने जो रिपोर्ट सौंपी थी, भले ही हाईकोर्ट ने उसे खारिज कर दिया लेकिन अभी तक उनकी रिपोर्ट में किसी ने कोई खामी नहीं निकाली है।
उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी मेरी रिपोर्ट खारिज करवाने की बेहद जल्दी थी। उन्होंने सदन में एक मेल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 9 अप्रैल 2021 को एक मेल आई। जिसके बाद वह मुख्यमंत्री से भी मिले और कहा कि एजी अगर कोर्ट में पेश नहीं हो सकते तो अगली तारीख ले ली जाए लेकिन कैप्टन को बेहद जल्दी थी।
रिपोर्ट खारिज होने के बाद दिया था कुंवर ने इस्तीफा
कुंवर ने यह भी आरोप लगाया कि कैप्टन के सलाहकार प्रशांत किशोर के कहने पर यह सारा काम किया गया। बता दें कि इस रिपोर्ट के खारिज होने के बाद आईपीएस अधिकारी कुंवर विजय प्रताप ने इस्तीफा दे दिया था। कुंवर ने यह भी सवाल उठाए कि एलके यादव को हाई कोर्ट के निर्देश पर एसआइटी का प्रमुख नहीं लगाया गया, क्योंकि हाई कोर्ट ने एडीजीपी रैंक के अधिकारी को जांच अधिकारी लगाने के निर्देश दिए थे, जबकि एलके यादव उस समय आइजी थे। उस समय 35 अफसर एडीजीपी रैंक के थे, लेकिन उन्हें बांच नहीं सौंपी गई।
सुखबीर की प्रतिक्रिया हैरानीजनक थी
कुंवर ने कहा कि बाद में 8 आइजी को प्रमोशन देकर एडीजीपी बनाया गया। यादव का नाम 8वें नंबर पर था। कुंवर ने सदन में यह भी कहा कि 14 सितंबर को सुखबीर बादल जब एसआइटी के सामने पेश होकर बाहर आए तो उनकी सबसे पहली प्रतिक्रिया यह थी कि हमारी सरकार आएगी तो कुंवर को छोड़ेंगे नहीं। उन्होंने सवाल किया कि तलब उन्हें एसआइटी ने किया था और वह प्रतिक्रिया दे रहे हैं कि वह मुझे नहीं छोड़ेंगे।
15 दिन बाद रिपोर्ट आना गैर संवैधानिक
कुंवर ने कहा कि 9 अप्रैल को हाई कोर्ट मेरी रिपोर्ट को खारिज करती है, लेकिन उसके आर्डर 23 अप्रैल को आते है। 15 दिन बाद रिपोर्ट आना भी गैर संवैधानिक है। उन्होंने कहा कि इस के विरुद्ध उन्होंने डबल बैंच में अपील की हुई है।
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