पंजाब में खनन ठेके की पुरानी प्रक्रिया समाप्त, अब होगी ई बिडिंग
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में पंजाब कैबिनेट की बैठक हुई। इसमें खनन ठेके देने की पुरानी प्रक्रिया खत्म हो गई है। अब राज्य में इसके लिए ई बिडिंग होगी।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने राज्य में खनन नीलामी की पुरानी प्रक्रिया समाप्त कर दी है। अब राज्य में खनन का ठेके ई-बिडिंग प्रक्रिया से दिए जाएंगे। इसके साथ की राज्य में नए सिरे से खनन की बोली करवाई जाएगी। इसे राज्य में खनन माफिया पर बड़ा प्रहार माना जा रहा है। यह फैसला मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया।
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणा पत्र में राज्य से खनन माफिया को समाप्त करने का वादा किया था। इसे पूरा करने लिए आज यह निर्णय किया गया है। मंत्रिमंडल की बैठक में कहा गया कि इससे खनन के कारोबार में पारदर्शिता अाएगी आैर राज्य सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी होगी। पिछली अकाली-भाजपा सरकार ने खनन की नीलामी का केंद्रीकरण कर दिया था।
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राज्य सरकार के एक प्रवक्ता अनुसार, इस फैसले से राजस्व लगभग 300 करोड़ रुपये बढ़ने की संभावना है। इसके साथ ही लोगों को उचित कीमत पर रेत एवं बजरी मिल सकेगी। बैठक में यह फैसला भी किया गया कि राज्य सरकार इस प्रणाली में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए संगठित खनन और खनिज पदार्थ प्रबंधन प्रणाली को शीघ्र ही लागू करेगी। यह प्रणाली भारत सरकार द्वारा स्वीकृत की गई है और इसकाे उड़ीसा राज्य में सफलतापूर्वक लागू किया गया है।
इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने खनन के लिए ली जानी वाली जमीन के लिए भूमि मालिकों का मुआवजा भी 50 रुपये से 60 रुपये प्रति टन बढ़ा दिया है। बता दें कि राज्य सरकार पहले ही नई खनन नीति पर कार्य कर रही है और यह इस महीने के अंत तक तैयार हो जाने की संभावना है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य में खनन का पहली अप्रैल को जायजा लेकर यह नीति बनाने के निर्देश दिया था। उन्होंने गैर कानूनी खनन को नकेल डालने के लिए संबंधित विभागों को सख्त निर्देश जारी किए थे।
सरकार खनन के लिए आधुनिक तकनीकों को विकसित करने और नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए विचार कर रही है ताकि गैर-कानूनी खदानों को पूरी तरह रोका जा सके। नई खनन नीति में खनन माफिया पर कारगर कार्रवाई करने की व्यवस्था भी की जाएगी।
खालसा यूनिवर्सिटी एक्ट होगा रद
पंजाब सरकार ने अमृतसर के 125 वर्ष पुराने ऐतिहासिक खालसा कालेज को बचाने के लिए विवादपूर्ण खालसा यूनिवर्सिटी एक्ट-2016 को रद करने का फैसला किया है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा चुनाव के दौरान खालसा कालेज की श़ानदार विरासत की रक्षा करने का वादा किया। विरासती दर्जे वाली यह संस्था देश की सबसे पुरानी शैक्षणिक संस्थाओं में से एक है।
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बता दें कि पिछली अकाली दल-भाजपा सरकार ने खालसा कॉलेज काे विश्वविद्यालय मे तब्दील करने के लिए खालसा यूनिवर्सिटी एक्ट-2016 लाया गया था। इसका बुद्धिजीवियों ने विरोध किया था आैर इससे इस कॉलेज के विरासती स्वरूप के नष्ट होने की आशंका जताई थी।
मंत्रिमंडल की बैठक में कहा गया कि अमृतसर में और यूनिवर्सिटी स्थापित करने की कोई मतलब है। इस शहर में पहले ही उच्च शिक्षा के लिए प्रसिद्ध विश्वविद्यालय मौजूद हैं। अमृतसर में स्थापित गुरू नानक देव विश्वविद्यालय देश के नामवर विश्वविद्यालयों में शामिल है। इसे राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता हासिल है। इसी प्रकार अमृतसर में ही स्थापित श्री गुरु रामदास यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साईसिज़ और इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ मैनेजमैंट भी राष्ट्रीय गौरवमयी संस्थानों में शामिल है।