Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अब इतिहास बनने जा रहा लड़ाकू विमान मिग-21, विदाई के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बनेंगे गवाह

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 08:03 PM (IST)

    भारतीय वायुसेना का गौरवशाली मिग-21 लड़ाकू विमान अब इतिहास बनने जा रहा है। 26 सितंबर को चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन से यह अपनी अंतिम उड़ान भरेगा जिसके साक्षी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह होंगे। इस विमान ने कई दशकों तक देश की हवाई सीमाओं की सुरक्षा की है और 1971 के युद्ध एवं कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी विदाई एक भावुक क्षण है।

    Hero Image
    बुधवार को मिग-21 फाइटर जेट को वॉटर कैनन सैल्यूट दिया गया।

    मनोज बिष्ठ, चंडीगढ़। भारतीय वायुसेना का गौरव और दुश्मनों के लिए खौफ का प्रतीक रहा मिग-21 लड़ाकू विमान अब इतिहास बनने जा रहा है। 26 सितंबर को चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन से यह विमान आखिरी बार उड़ान भरकर विदाई लेगा। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के आगरा से विशेष दल भी चंडीगढ़ पहुंचेगा। इस ऐतिहासिक विदाई के गवाह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बनेंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जब मिग-21 एयरफोर्स स्टेशन में अपनी आखिरी उड़ान भरेगा तो उस समय राजनाथ सिंह मौजूद रहेंगे। बुधवार को हुई रिहर्सल में विमानों ने आसमान में शानदार करतब दिखाए और सुरक्षा इंतजामों की अंतिम तैयारियों को परखा गया।

    एयरफोर्स स्टेशन में भव्य फुल ड्रेस रिहर्सल

    बुधवार को 12 विंग एयरफोर्स स्टेशन में भव्य फुल ड्रेस रिहर्सल की गई। इस दौरान मिग-21 फाइटर जेट को वॉटर कैनन सैल्यूट दिया गया, जबकि आकाश में सूर्य किरण एरोबेटिक टीम और आकाश गंगा स्काई डाइवर्स ने हैरतअंगेज करतब दिखाकर माहौल को यादगार बना दिया। फाइटर जेट जैसे ही हवा में उड़ा, उसकी गर्जना से पूरा शहर गूंज उठा। स्काई डाइवर्स ने 8 हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर अदम्य साहस का परिचय दिया। यह नजारा देखकर मौजूद हर शख्स की आंखें इस ऐतिहासिक पल की गवाह बन गईं।

    राजस्थान के सूरतगढ़ स्थित 23 नंबर स्क्वॉड्रन (पैंथर्स) के कमांडिंग ऑफिसर मिग-21 की अंतिम उड़ान भरेंगे। यह स्क्वाड्रन वर्ष 1956 में गठित हुई थी और 1978 से मिग-21 का संचालन कर रही है। आदमपुर की 28 नंबर स्क्वॉड्रन के अफसर भी इस मौके पर मौजूद रहेंगे, क्योंकि 1987 तक मिग-21 इस स्क्वाड्रन का हिस्सा रहा है।

    एयर चीफ को सौंपा जाएगा फार्म-700

    अंतिम उड़ान के बाद पायलट अपने अनुभव और तकनीकी रिपोर्ट फॉर्म-700 में दर्ज करेंगे। यह दस्तावेज स्क्वाड्रन कमांडिंग ऑफिसर वायुसेना प्रमुख को सौंपेंगे। इसे मिग-21 के गौरवशाली इतिहास की अंतिम दस्तावेजी गाथा के रूप में संरक्षित किया जाएगा।

    विदाई समारोह की तैयारियां

    विदाई समारोह में एयरफोर्स के शीर्ष अधिकारी, पूर्व व वर्तमान पायलट और रक्षा विशेषज्ञ शामिल होंगे। मिग-21 अंतिम बार फ्लाई-पास्ट करेगा और उसे गार्ड आफ आनर के साथ अलविदा कहा जाएगा। समारोह में वायुसेना बैंड की प्रस्तुति भी होगी, जबकि वरिष्ठ अधिकारी मिग-21 के योगदान को याद करते हुए अपने विचार साझा करेंगे।

    भावुक पल, योगदान कई मायनों में अहम

    मिग-21 न केवल भारतीय वायुसेना के लिए बल्कि देशवासियों के लिए गर्व का विषय रहा है। इसकी विदाई भावुक कर देने वाला क्षण होगा क्योंकि इस विमान ने कई दशकों तक देश की हवाई सीमाओं की सुरक्षा की है। मिग-21 का चंडीगढ़ और यहां स्थित वायुसेना स्टेशन के साथ गहरा रिश्ता रहा है। उसका योगदान कई मायनों में अहम माना जाता है।

    मिग-21 की यात्रा और योगदान

    मिग-21 को वर्ष 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। यह भारत का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था, जिसकी गति ध्वनि की गति से भी अधिक थी। इस विमान ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में दुश्मन के कई विमान मार गिराकर भारत को निर्णायक बढ़त दिलाई। कारगिल युद्ध (1999) के दौरान भी मिग-21 ने जांबाजी के साथ अपनी ताकत दिखाई। वायुसेना की रीढ़ कहलाने वाला यह विमान भारत की हवाई शक्ति का आधार बना रहा और 60 वर्षों तक देश की रक्षा में योगदान देता रहा।