पंजाब में हेलमेट न पहनने से 800 से ज्यादा मौतें, 2024 में सड़क हादसों का खौफनाक आंकड़ा आया सामने
पंजाब में सड़क दुर्घटनाओं में तेज़ी से वृद्धि हुई है। 2024 में हेलमेट न पहनने के कारण 800 से ज़्यादा मौतें हुईं। तेज़ रफ़्तार और सुरक्षा उपायों की कमी ...और पढ़ें

हेलमेट न पहनने के कारण 2024 में 800 से अधिक मौतें (फोटो: जागरण)
रोहित कुमार, चंडीगढ़। पुलिस विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में औसतन हर दो घंटे में एक व्यक्ति की सड़क हादसे में मौत हो रही है।
पिछले पांच वर्षों में पंजाब में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में लगभग 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे यह राज्यों के शीर्ष के गंभीर दुर्घटना प्रभावित राज्यों में शामिल हो गया है।
पंजाब और उसके पड़ोसी राज्यों में तेज रफ्तार सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा, हेलमेट और सीट बेल्ट न पहनना, शराब पीकर ड्राइविंग और मोबाइल फोन का उपयोग भी मौतों के आंकड़े को बढ़ा रहे हैं।
अकेले पंजाब में 2024 में 800 से अधिक मौतें हेलमेट न पहनने के कारण हुई हैं। वर्ष 2020 में पंजाब में लगभग 2,000 मौतें सड़क दुर्घटनाओं में दर्ज हुई थीं, जो 2024 में बढ़कर 4,700 से अधिक हो गई।
इसी अवधि में सड़क हादसों की संख्या भी 6,000 के पार चली गई। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि तेज रफ्तार, नियमों की अनदेखी और सुरक्षा उपायों की कमी इस बढ़ते आंकड़े के मुख्य कारण हैं।
हिमाचल में हादसे में कम लेकिन मौत दर चिंतनीय हिमाचल प्रदेश में सड़क हादसों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, लेकिन मौत की दर चिंतजक बनी हुई है।
2024 में राज्य में 1,200 से अधिक मौतें सड़क दुर्घटनाओं में दर्ज की गई हैं। पहाड़ी रास्ते, तीखे मोड़, ओवरलोडिंग और खराब मौसम को यहां हादसों का प्रमुख कारण बताया गया है।
पीआईएफएसएफ की तैनाती के बाद और चिह्नित ब्लैक स्पाइंट्स पर घातक सड़क हादसों में आठ से 10 प्रतिशत तक कमी आई है। 2021 से 2023 के बीच, लगभग 1,200 गंभीर घायलों की जान बचाने का दावा किया गया है।
हालांकि, पीआईएफएसएफ के प्रयासों के बावजूद, राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में मौतों का आँकड़ा अब भी चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है। तेज रफ़्तार, हेलमेट और सीट बेल्ट को अनदेखी, शराब पीकर वाहन चलाना और ग्रामीण सड़कों पर सीमित निगरानी समस्याओं इस स्थिति को और गंभीर बना रही है।
पंजाब में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या ने राज्य सरकार को चिंतित कर दिया है। इसी सन्दर्भ में, अप्रैल 2021 में पंजाब रोड सेफ़्टी फ़ोर्स (पीआईएफएसएफ) का गठन किया गया था।
इस विशेष फ़ोर्स का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर तेज रफ़्तार, नशे में ड्राइविंग, ओवरलोडिंग और नियमों के उल्लंघन पर सख्ती से कार्रवाई करना है।
इसके साथ ही, हादसों के बाद गोल्डन आवर में घायलों को त्वरित सहायता प्रदान करना भी इस फ़ोर्स का महत्वपूर्ण कार्य है। हरियाणा में स्थिति और भी चिंतजनक : पंजाब से सटे हरियाणा में स्थिति और भी चिंतजनक है। हरियाणा में सड़क दुर्घटनाओं में मौतों
राजस्थान में सड़क हादसों में 10 हजार से अधिक मौतें राजस्थान, जो पंजाब से अधिक रूप से जुड़ा हुआ है, सड़क दुर्घटनाओं के मामले में देश के शीर्ष राज्यों में शामिल है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 में राजस्थान में 10,000 से अधिक मौतें सड़क हादसों में हुई। ल़म्बी दूरी की सड़कें, हाईवे पर तेज रफ़्तार और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी यहां दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है।
जम्मू-कश्मीर में एक हजार से अधिक की गई जान पंजाब से सटे जम्मू-कश्मीर में भी सड़क हादसों का खतरा लगातार बना हुआ है। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में केंद्र शासित प्रदेश में 1,000 से अधिक लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई है।
खराब सड़कें, पहाड़ी इलाका, मौसम और सीमित ट्रैफिक इंफ्रास्ट्रक्चर यहां हादसों की बड़ी वजह है।

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