Updated: Sat, 04 Oct 2025 09:10 PM (IST)
पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाने पर रोक लगा दी है। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि शिक्षकों को केवल शिक्षण कार्य में ही लगाया जाए और उन्हें दफ्तरी कामों से दूर रखा जाए। मंत्री ने कहा कि शिक्षकों का मुख्य काम क्लासरूम में पढ़ाना है दफ्तरों में नहीं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। स्कूल शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि सरकारी स्कूलों के अध्यापकों से किसी भी प्रकार का गैर-शैक्षणिक या प्रशासनिक कार्य न कराया जाए। उन्होंने साफ कहा कि शिक्षक का स्थान क्लासरूम में है, दफ्तरों में नहीं।
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बैंस ने कई जिलों से आई शिकायतों पर गंभीर संज्ञान लिया है कि शिक्षकों को पढ़ाई से हटाकर दफ्तरी या प्रशासनिक कामों में लगाया जा रहा है। इसे उन्होंने शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों के साथ अन्याय बताया। उन्होंने कहा कि अध्यापक केवल सरकारी कर्मचारी नहीं, बल्कि समाज के भविष्य को गढ़ने वाले ज्ञान के दीपक हैं।
शिक्षा मंत्री ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि बच्चों के शिक्षा के अधिकार (आरटीइ) अधिनियम, 2009 की धारा 27 के तहत शिक्षकों को केवल जनगणना, आपदा राहत या चुनाव जैसे कार्यों में ही लगाया जा सकता है। इसके अलावा किसी अन्य कार्य के लिए उनकी नियुक्ति कानून के खिलाफ है।
हरजोत बैंस ने स्पष्ट कहा कि शिक्षकों की कक्षा में उपस्थिति अपरिवर्तनीय है और किसी भी जरूरी सरकारी कार्य के लिए उन्हें डिफाल्ट विकल्प नहीं माना जा सकता। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि सभी विभागों व जिलों को सख्त आदेश जारी करें कि बिना शिक्षा विभाग की लिखित अनुमति के किसी भी शिक्षक को गैर-शैक्षणिक कार्य में न लगाया जाए।
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