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    'अभी नहीं दी कोई जमीन', गुलाब चंद कटारिया के बयान से और गहराया हरियाणा विधानसभा जमीन का विवाद

    चंडीगढ़ में हरियाणा की नई विधानसभा के लिए जमीन आवंटन को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने कहा है कि अभी किसी भी जमीन का आवंटन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि हरियाणा का एक प्रस्ताव लंबे समय से लंबित है और जब तक उस पर कोई निर्णय नहीं हो जाता।

    By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Mon, 18 Nov 2024 04:10 PM (IST)
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    हरियाणा विधानसभा जमीन विवाद पर क्या बोले गुलाब चंद कटारिया।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ में हरियाणा की नई विधानसभा के लिए जमीन आवंटन से पहले उपजे विवाद के बीच पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि अभी किसी जमीन का आवंटन नहीं हुआ है। हरियाणा का पहले से ही एक प्रस्ताव लंबे समय से लंबित है। जब तक उस पर कोई निर्णय नहीं हो जाता, तब तक इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं है।

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    प्रशासक ने यह बयान मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल के कर्टेन रेजर कार्यक्रम में पूछे गए सवाल के जवाब में दिया। यह मामला पहले से ही पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ में बड़ा विवाद बन चुका है। इसको देखते हुए प्रशासक कटारिया ने अभी इस विषय पर इतना ही कहा है।

    प्रशासन से अब आसानी से मिल जाएगी जमीन

    मालूम हो कि केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने हाल ही में सुखना लेक के ईको सेंसेटिव जोन को लेकर एक अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना में पंचकूला की ओर एक किलोमीटर का दायरा ईको सेंसेटिव जोन में रखा गया है।

    चंडीगढ़ को हरियाणा ने जो जमीन बदले में देनी है, वह ईको सेंसेटिव जोन के दायरे से बाहर हो गई है। इसके बाद हरियाणा सरकार की ओर से दावा किया गया है कि हरियाणा विधानसभा के लिए जमीन अब प्रशासन से आसानी से मिल जाएगी।

    अधिसूचना जारी होने के बाद विवाद खत्म

    ईको सेंसटिव जोन में आने से मामला अटक रहा था। बदले में हरियाणा चंडीगढ़ आइटी पार्क के साथ लगती सकेतड़ी के पास 12 एकड़ जमीन देगा। कहा गया कि अधिसूचना जारी होने के बाद उसका विवाद खत्म हो गया है।

    ऐसे में अब जमीन की अदला-बदली की नीति लागू हो जाएगी, जबकि प्रशासन का शहरी योजना विभाग अदला-बदली की नीति पर सवाल उठा चुका है। उसका कहना है कि मास्टर प्लान 2030 में इसके संबंध में कोई भी नीति नहीं है।

    योजना विभाग ने यह भी आपत्ति जताई है कि रेलवे स्टेशन के पास जो 10 एकड़ जमीन विधानसभा भवन बनाने के लिए दी जानी है, वह प्राइम लोकेशन पर है जबकि इसके बदले में सकेतड़ी की 12 एकड़ जमीन भी इतनी महत्वपूर्ण नहीं है। इस जमीन के बीच से एक नाला भी गुजर रहा है।

    पंजाब के नेता कर रहे हैं जमीन देने का विरोध

    हरियाणा की ओर से विधानसभा के लिए जमीन मिलने का दावा किए जाने के बाद पंजाब की राजनीति में जैसे भूचाल आ गया था। सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के लगातार बयान आ रहे हैं।

    दो दिन पहले पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रशासक गुलाब चंद से मिलकर इस मामले में ज्ञापन सौंपकर कड़ा एतराज जताकर गए थे।

    हरियाणा की तरफ से भी बदले में लगातार नेताओं की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी ने इसे बेवजह पंजाब की तरफ से रोड़ा अटकाना वाला कहा था।

    चंडीगढ़ में जमीन की कीमत पंचकूला से ज्यादा

    हरियाणा विधानसभा के लिए जमीन की बात जब से शुरू हुई थी तब से ही यह विवाद हो रहा है। पंजाब की तरफ से इसे चंडीगढ़ पर उनका हक कमजोर करने की साजिश बताया गया। दूसरी तरफ चंडीगढ़ में जमीन की कीमत पंचकूला से कहीं ज्यादा है।

    चंडीगढ़ में करीब 64 करोड़ रुपये प्रति एकड़ जमीन की कीमत है। चंडीगढ़ की तीन अलग-अलग जगह की जमीन में से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पूर्व अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कलाग्राम के पास रेलवे स्टेशन रोड पर इस 10 एकड़ जमीन को नई विधानसभा के लिए पसंद किया था।

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