पंजाब में श्रम कानून में अहम बदलाव, 300 कर्मचारियों वाली फैक्टरी बंद करने के लिए नहीं लेनी होगी मंजूरी
New factory closure rules in Punjab पंजाब सरकार के प्रस्ताव को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है। अब 300 कर्मचारियों तक वाली फैक्टरी को बंद करने को श्रम विभाग की मंजूरी की जरूरत नहीं
चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। New factory closure rules in Punjab: पंजाब में अब 300 या उससे कम कर्मचारियों वाली फैक्ट्री को बंद करने के लिए श्रम विभाग से इजाजत लेने की जरूरत नहीं होगी। इससे पहले यह संख्या सौ कर्मचारियों तक की थी। पंजाब सरकार की ओर से श्रम कानूनों में सुधार का यह अहम फैसला है।
औद्योगिक विवाद अधिनियम में संशोधित ड्राफ्ट बिल को प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2019 में ही मंजूरी दे दी थी। केंद्रीय अधिनियम होने के कारण इसमें संशोधन करने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता थी जो अब सरकार को मिल गई है। अब इसे राज्यपाल को भेज दिया है। संभव है कि एक-दो दिन में अध्यादेश जारी कर दिया जाए।
पंजाब सरकार द्वारा निवेश को बढ़ावा देने के लिए करवाए गए इंडस्ट्रियल समिट में यह मांग उठती रही है कि राज्य में श्रम कानून बहुत सख्त हैं। मात्र सौ कर्मचारियों वाली फैक्ट्री को चलाने के लिए भी कई तरह की अड़चने हैं। गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने इस कानून में पहले ही संशोधन कर लिया है। ऐसे में उद्योगपति इन राज्यों का उदाहरण देते रहे हैं कि अगर वहां सुधार हो गए हैं तो पंजाब क्यों नहीं कर रहा। काबिले गौर है कि इस तरह के श्रम कानूनों के कारण ही पंजाब में बड़ी इंडस्ट्री ज्यादा नहीं है।
इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने औद्योगिक विवाद अधिनियम (इंडस्ट्रीयल डिस्प्यूट एक्ट) की धारा 25 में संशोधन करते हुए कहा है कि अब तीन सौ या उससे कम कर्मचारियों वाली फैक्ट्री को बंद करने के लिए श्रम विभाग की मंजूरी की जरूरत नहीं है।
एक और अहम संशोधन
एक्ट में यह भी संशोधन किया है कि कर्मचारी और नियोक्ता में बर्खास्तगी, छंटनी को लेकर कोई विवाद है तो उस पर अब विवाद के तीन साल बीतने के बाद भी सरकार द्वारा निर्धारित अथॉरिटी की मंजूरी से इसे फिर से अदालत में ले जाया जा सकेगा। पहले इस तरह का विवाद केवल तीन साल तक ही मान्य था।
इसका अध्यादेश भी तैयार
श्रम विभाग पंजाब के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी वीके जंजुआ का कहना है कि एक्ट में संशोधन करने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। इसका अध्यादेश भी तैयार कर लिया गया है जो राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेजा जा रहा है। मंजूरी मिलते ही अध्यादेश जारी कर दिया जाएगा।