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    मोहाली के नयागांव में हाईकोर्ट की सख्ती, आदेशों की अवहेलना पर अधिकारी को भरना पड़ा भारी जुर्माना

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 01:21 PM (IST)

    मोहाली के नयागांव में हाईकोर्ट के आदेश के बिना कोई काम नहीं होता। शिवालिक विहार में ड्रेनेज ढक्कन की मरम्मत लंबित होने पर वकील ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने नगर परिषद के अधिकारी रवनीत सिंह को कार्रवाई के आदेश दिए लेकिन उनके अदालत में शारीरिक रूप से पेश होने पर 10000 रुपये का जुर्माना लगाया गया।

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    नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी रवनीत सिंह

    जागरण संवाददाता, मोहाली। नयागांव की जनता को रोजमर्रा की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है और हालात ऐसे बन चुके हैं कि यहां कोई काम हाईकोर्ट के आदेश के बिना आगे नहीं बढ़ता। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के सरकारी आवास से चंद कदमों की दूरी पर स्थित नयागांव में नगर परिषद अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि लोगों की शिकायतें महीनों तक अनसुनी रह जाती हैं।

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    ताजा मामला शिवालिक विहार क्षेत्र का है, जहां ड्रेनेज के टूटे ढक्कनों की मरम्मत लंबे समय से लंबित थी। इस पर स्थानीय वकील ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सोमवार को नयागांव नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी रवनीत सिंह को दो दिन के भीतर कार्रवाई करने और स्थिति को गंभीरता से लेने के आदेश दिए थे।

    बुधवार को जब कार्यकारी अधिकारी को कोर्ट में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होना था, तो वह फिजिकली अदालत में पेश हो गए। इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई और आदेशों की अवहेलना मानते हुए उन पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगा दिया।

    साथ ही उन्हें कोर्ट की अवमानना नोटिस भी जारी किया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नयागांव में विकास कार्य और बुनियादी सुविधाओं की मरम्मत सिर्फ अदालत के आदेश पर ही संभव हो पा रही है, जिससे आम जनता परेशान है।

    अधिकारी कोर्ट के चक्कर लगाएंगे तो काम कौन करेगा:  अदालत

    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान नगर परिषद नयागांव के कार्यकारी अधिकारी रवनीत सिंह को दो दिन के अंदर-अंदर जवाब देने और वर्चुअल रूप से अदालत में पेश होने का आदेश दिया था। लेकिन कार्यकारी अधिकारी खुद अदालत में पहुंच गए। 

    इसको देखकर चीफ जस्टिस और उनकी खंडपीठ के साथी जज भड़क गए। अदालत का मानना था कि अगर अधिकारी को वर्चुअल रूप से अदालत में पेश होने के लिए कहा है तो इसकी वजह यह थी कि आम जनता का काम प्रभावित न हो।

    कार्यकारी अधिकारी ने अदालत में पहुंचकर अपना समय तो खराब किया ही है, वही आम जनता भी इसकी वजह से परेशान हुई होगी। इसलिए अदालत ने कार्यकारी अधिकारी पर 10000 रुपए का जुर्माना लगा दिया।

    नाबालिगों से मजदूरी कराने का आरोप

    मामले में याचिका लगाने वाले वकील सुनील कुमार ने बताया कि उन्होंने अदालत को बताया है कि नगर परिषद नयागांव की तरफ से जो ड्रेनेज लाइन के ढक्कन लगाने का काम किया जा रहा है, वह बिना प्रशिक्षित और नाबालिग मजदूरों से करवाया जा रहा है। जिसके फोटोग्राफ्स भी वकील की तरफ से अदालत में पेश किए गए हैं। इस पर भी अदालत संज्ञान ले सकता है।

    वही कार्यकारी अधिकारी की तरफ से अदालत को बताया गया कि बारिश का मौसम होने और भारी वाहन निकलने के कारण यह ढक्कन बार-बार टूट रहे हैं, लेकिन वकील की तरफ से अदालत में फोटो के साथ अपना पक्ष रखा था कि नगर परिषद की तरफ से सिर्फ अदालत को गुमराह करने के लिए चलता फिरता काम किया जा रहा है।