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    नाड़ी शोधन प्राणायाम का राजा: रोजाना अभ्यास से नाड़ियों का होता है शुद्धिकरण

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 09 May 2021 07:38 AM (IST)

    नाड़ी शोधन को प्राणायाम का राजा कहा गया है। इसे करने से शरीर में सभी नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है।

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    नाड़ी शोधन प्राणायाम का राजा: रोजाना अभ्यास से नाड़ियों का होता है शुद्धिकरण

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : नाड़ी शोधन को प्राणायाम का राजा कहा गया है। इसे करने से शरीर में सभी नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है। सेक्टर 23 स्थित गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ योग एजुकेशन एंड हेल्थ के योगाचार्य रोशन लाल बताते हैं कि नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से आप शारीरिक व मानसिक रूप से तंदुरूस्त बनाते हैं। यह प्राणायाम शरीर को रोगमुक्त और मन को शांत रखने में फायदेमंद है। इस प्राणायाम को करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। इसलिए कोरोना संक्रमण से बचने के लिए इस प्राणायाम को रोजाना अभ्यास करें।

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    नाड़ी शोधन करने का तरीका

    -पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। श्वास को शांत करें।

    -दाएं हाथ की दोनों पहली अंगुलियों को मोड़ते हुए दांई नासिका को अंगुठे से बंद कर लें और श्वास को बांयी नासिका से भरें।

    -चौथी एवं पांचवीं अंगुली से बायीं नासिका को बंद कर लें और कुछ क्षण आंतरिक कुंभक (सांस को शरीर के भीतर रोकें रखें )करें।

    -अंगूठे को हटाकर दांयी नासिका से धीरे -धीरे श्वास निकाल दें।

    -फिर दायीं नासिका से श्वास लें, दोनों नासिकाएं बंद करें।

    -फिर बायीं नासिका से श्वास निकाल दें, यह नाड़ीशोधन प्राणायाम की एक आवृत्ति हुई।

    -तीन-चार बार प्रतिदिन करते हुए अभ्यास को बढ़ाएं। उतनी देर श्वास रोकना है, जितनी देर आप आराम से रोक सकें और जब सांस छोड़ें, तो छोड़ने की गति धीमी हो।

    फायदे -

    -फेफड़ों से संबंधित तमाम बीमारियों के लिए रामबाण है।

    -शरीर में ऊर्जा का संचार करता है।

    -तनाव को कम करने में सहायक।

    -कफ संबंधी तमाम विकारों को दूर करता है।

    -जीवन शक्ति को बढ़ता है।

    -पाचनतंत्र को मजबूत करता है।

    -एक्रागता बढ़ाता है।