अधर में मदर-चाइल्ड सेंटर, चंडीगढ़ पीजीआई में मासूमों की जिंदगी दांव पर, एक-एक वेंटिलेटर पर चार-चार का हो रहा इलाज
पीजीआई का मदर-चाइल्ड सेंटर अधर में लटका है। इसी वजह से एक वेंटिलेटर पर चार बच्चों का इलाज हो रहा है। 182 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद 2017 से लंबित यह परियोजना अभी तक अधूरी है जिससे मरीजों को कोई सुविधा नहीं मिल रही है। गायनाकोलाजी विभाग की हालत भी खराब है और प्रशासन इस पर चुप्पी साधे हुए है।

मोहित पांडेय, चंडीगढ़। पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) के मदर एंड चाइल्ड एडवांस्ड सेंटर न बनने की कीमत मासूम बच्चों को चुकानी पड़ रही है। यही वजह है कि एडवांस्ड पीडियाट्रिक सेंटर (एपीसी) की इमरजेंसी यूनिट में एक-एक वेंटिलेटर पर चार-चार मासूमों का इलाज किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने इस परियोजना को अगस्त 2017 में मंजूरी दी थी।
तय समयसीमा के अनुसार इसे 39 माह में पूरा किया जाना था, लेकिन आठ साल बाद भी परियोजना सिरे नहीं चढ़ पाई। 182 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस सेंटर को 2023 तक शुरू होना था, मगर अब डेडलाइन पूरी होने के 17 माह बाद भी सेंटर अभी तक शुरू नहीं हुआ है।
36325 स्क्वेयर मीटर एरिया में छह मंजिला में बन रहे इस सेंटर में 300 बेड, छह माड्यूलर ऑपरेशन थिएटर, हाई-रिस्क मैटरनिटी यूनिट, लेवल-3 नवजात गहन चिकित्सा यूनिट और ह्यूमन मिल्क बैंक जैसी सुविधाएं प्रस्तावित हैं, लेकिन कागजों से बाहर नहीं निकल पाई हैं। यह बेहद चिंताजनक है कि इतनी महत्वपूर्ण परियोजना केवल फाइलों और घोषणाओं तक ही सीमित रह गई है।
गायनाकोलॉजी डिपार्टमेंट की भी दुर्दशा
पीजीआई में महिलाओं के लिए अलग से सेंटर न होने के कारण गायनाकोलाॅजी डिपार्टमेंट पर दबाव बढ़ा हुआ है। कई बार गर्भवती महिलाओं को एक-एक बेड पर दो-दो मरीजों के साथ लेटना पड़ता है। इसके साथ डाॅक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को लगातार दिक्कत झेलनी पड़ रही है। इस देरी ने साफ कर दिया है कि बड़े-बड़े बजट और योजनाओं के बावजूद मरीजों को समय पर सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
सवाल यह है कि मासूमों और गर्भवती महिलाओं के जीवन से इस तरह का खिलवाड़ आखिर कब तक जारी रहेगा। वहीं, इस सेंटर चालू होने को लेकर पीजीआइ के प्रशासनिक अधिकारी अपनी चुप्पी तोड़ने का नाम नहीं ले रहे है। संपर्क करने की कोशिश करने के बाद भी सेंटर के चालू होने के बाद भी पीजीआई की ओर से कोई जानकारी मुहैया नहीं करवाई गई है।
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