खुल गया है अब यह बाईपास, मोहाली-चंडीगढ़ की सबसे बड़ी ट्रैफिक समस्या का समाधान, जानें दूसरे राज्यों के लोगों को भी क्या होगा फायदा
मोहाली-कुराली-बद्दी ग्रीनफील्ड बाईपास सोमवार से आम जनता के लिए खुल गया है। यह बाईपास मोहाली और चंडीगढ़ की सबसे बड़ी ट्रैफिक समस्या का स्थायी समाधान हो ...और पढ़ें

मोहाली-कुराली-बद्दी ग्रीनफील्ड बाईपास सोमवार से आम जनता के लिए पूरी तरह खुल गया है।
जागरण संवाददाता, मोहाली। चार साल के लंबे इंतजार, तीन बार टूटी डेडलाइन और बारिश-बाढ़ की तमाम बाधाओं को पार करते हुए आखिरकार मोहाली-कुराली-बद्दी ग्रीनफील्ड बाईपास सोमवार से आम जनता के लिए पूरी तरह खुल गया है। भारतमाला परियोजना के तहत 1400 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह 31 किलोमीटर लंबी चार लेन सड़क चंडीगढ़-मोहाली की सबसे बड़ी ट्रैफिक समस्या का स्थायी हल बनेगी।
यह सड़क मोहाली के आईटी सिटी चौक से शुरू होकर खरड़ बाईपास, मुंडी खरड़, लांडरां रोड, कुराली और झुल्के नंगल होते हुए सिसवां-बद्दी हाईवे से जुड़ रही है। इसके खुलने से अब एयरपोर्ट रोड पर रोजाना के भयंकर जाम हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।
न्यू चंडीगढ़, एरोसिटी, आईटी सिटी और सेक्टर 81 से 110 तक के हजारों परिवार 15 मिनट में एयरपोर्ट पहुंच सकेंगे। दिल्ली से लुधियाना जालंधर जाने वाले वाहन चंडीगढ़ शहर में घुसे बिना बाहर से निकल जाएंगे। बद्दी, नालागढ़, धर्मशाला, मनाली और जम्मू कश्मीर जाने वाले लोग भी चंडीगढ़ का जाम नहीं झेलेंगे।
बजहेड़ी में हाईटेक टोल प्लाजा, वाहन गुजरते ही अपने आप कटेगा टोल
गांव बजहेड़ी में हाईटेक टोल प्लाजा बनाया गया है। यह टोल दोनों तरफ 16 लेन का है। ओवरसाइज वाहनों के लिए अलग लेन भी है। यहां कोई कर्मचारी नहीं रहेगा, फास्टैग की तरह वाहन गुजरते ही टोल अपने आप कट जाएगा। एनएचएआई के अधिकारियों ने बताया कि कुराली में 220 केवी हाई टेंशन लाइन शिफ्ट होने के बाद इसे आम जनता के लिए खोल दिया है।
पहले एक दिसंबर से होना था शुरू
पहले इस प्रोजेक्ट को एक दिसंबर से शुरू किया जाना था। इसके लिए 29 और 30 नवंबर को ट्रायल भी रखा गया था, लेकिन किसानों के विरोध के कारण इसका ट्रायल रन नहीं हो पाया था। क्योंकि किसानों की मांग थी कि टोल प्लाजा के पास लगने वाले गांवों को इस हाइवे से चढ़ने और उतरने का रास्ता दिया जाना चाहिए। इसको लेकर किसानों की तरफ से हाईवे पर पक्का धरना लगा दिया गया था। बाद में नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया के कर्मचारियों ने किसानों के साथ बातचीत कर इस मसले का हल निकाला था।
यात्रा का समय आधा रह जाएगा

इस कारिडोर से पंजाब-हरियाणा और हिमाचल की कनेक्टिविटी को नया आयाम मिलेगा। बद्दी, डेराबस्सी, लालडू राजपुरा के इंडस्ट्रियल हब को तेज माल ढुलाई का फायदा होगा। इससे लाॅजिस्टिक्स चेन मजबूत होगी और यात्रा का समय आधा रह जाएगा। मोहाली चंडीगढ़ वासियों के लिए यह नया साल का सबसे बड़ा तोहफा साबित होने वाला है।
साइनबोर्ड पर हुआ था विवाद
भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत आईटी सिटी से कुराली तक बन रही नई सड़क पर लगाए जा रहे साइनबोर्ड पर विवाद भी हुआ था। बोर्डों पर केवल हिंदी और अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा था, जिससे पंजाबी भाषा को दरकिनार करने पर आपत्ति जताई गई थी।
भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) ने इस मुद्दे पर संघर्ष किया। पहले एसडीएम मोहाली के माध्यम से डिप्टी कमिश्नर मोहाली को ज्ञापन सौंपा था। इसमें मांग की गई थी कि पंजाब की जमीन पर बन रही इस राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के साइनबोर्डों पर पंजाबी भाषा को भी शामिल किया जाए।
जमीन मुआवजे पर भी रहा विवाद
इस प्रोजेक्ट में किसानों को मोहाली तहसील की जमीन का 1.59 करोड़ और खरड़ तहसील की जमीन का 1.1 करोड़ प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया गया था। किसानों का कहना था कि मोहाली और खरड़ की सारी जमीन व्यावसायिक जमीन है। इसलिए उन्हें उसी के हिसाब से मुआवजा मिलना चाहिए था। जिस प्रकार पंजाब अर्बन डेवलपमेंट अथाॅरिटी द्वारा जो जमीन ली जाती है, उसमें लैंड पूलिंग के तहत जमीन दी जाती है। इसमें जो जमीन मिलती है, उसकी कीमत करीब 10 से 15 करोड रुपए तक हो जाती है। लेकिन भारतमाता प्रोजेक्ट में ऐसा नही हुआ।

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