एक करोड़ की ठगी को सिविल मैटर बताया, शिकायत निपटाने पर मोहाली पुलिस पर उठे सवाल, देना होगा जवाब
डेराबस्सी के व्यवसायी अरुण गोयल ने मोहाली पुलिस पर एक करोड़ की ठगी की शिकायत को गलत तरीके से बंद करने का आरोप लगाया है। उन्होंने पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी में याचिका दायर कर एसएसपी के हस्ताक्षर पर भी सवाल उठाए हैं। अथॉरिटी ने मोहाली एसएसपी कार्यालय को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है, और मामले की सुनवाई 8 दिसंबर को होगी। शिकायतकर्ता को एसएसपी के साथ भी धोखाधड़ी की आशंका है।

मोहाली एसएसपी ऑफिस को नोटिस भेज कर जवाब मांगा गया है, जिस पर आठ दिसंबर को सुनवाई होगी।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। डेराबस्सी के एक कारोबारी अरुण गोयल ने मोहाली एसएसपी ऑफिस में ठगी की शिकायतों को फर्जी तरीके से बंद कर करने के आरोप लगाए हैं। इस संबंध में पंजाब पुलिस कंप्लेंट अथारिटी में एक याचिका दायर की है। उनका आरोप है कि उनके साथ एक करोड़ रुपये की ठगी हुई थी, कार्रवाई करने की बजाय उनकी शिकायत को सिविल मैटर बताते हुए बंद कर दिया गया।
कारोबारी का कहना है कि जब उन्होंने रिपोर्ट देखी तो पाया कि उस पर एसएसपी मोहाली के जो साइन हैं वह अलग हैं, जबकि कई अन्य दस्तावेजों पर उनके साइन किसी और ढंग से हुए हैं। ऐसे में उन्होंने आरोप लगाया कि मोहाली एसएसपी की जानकारी के बिना उनके साइन कर अन्य स्टाफ मामलों को निपटा रहे हैं।
उन्होंने एसएसपी के हस्ताक्षर को पुलिस कंप्लेंट अथारिटी में चुनौती दी है। उनकी याचिका पर अथारिटी ने मोहाली एसएसपी ऑफिस को नोटिस भेज कर जवाब मांग लिया है, जिस पर आठ दिसंबर को सुनवाई होगी।
क्या एसएसपी के साथ भी हो रही धोखाधड़ी : शिकायतकर्ता
शिकायतकर्ता गोयल का कहना है कि उन्हें लग रहा है यह फर्जीवाड़ा एसएसपी के जानकारी के बिना हो रहा है। उन्हें अंदेशा है कि एसएसपी मोहाली के साथ ही धोखाधड़ी हो रही है। इसलिए इस मामले की जांच किए जाने और तत्कालीन एसएसपी दीपक पारिख से भी स्पष्टीकरण लिए जाने की मांग की है। उनका कहना है जब उनकी शिकायत को बंद किया गया तब दीपक पारिख ही एसएसपी मोहाली थे।
फर्म पर फर्जी रिकॉर्ड पेश करने का आरोप
गोयल ने बताया कि उन्होंने कैथल की एक फर्म से चावल खरीदे थे, जिसके लिए उन्होंने एक करोड़ रुपये अदा किए थे। फर्म ने न तो उन्हें चावल दिए और न ही उनके रुपये लौटाए। जब उन्होंने मामले की सूचना पुलिस को दी तो आरोपित फर्म के प्रतिनिधि ने फर्जी रिकाॅर्ड पेश कर दिया कि वह शिकायतकर्ता को सप्लाई दे चुके हैं।
पुलिस ने उन फर्जी दस्तावेजों की जांच करने के बजाय उनकी शिकायत को ही बंद कर दिया जबकि एसपी रूरल ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की थी। उनकी रिपोर्ट को भी नजरंदाज किया गया।

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