भ्रष्टाचार में फंसे मोहाली के पूर्व आरटीओ को नहीं मिली जमानत, गंभीर स्वास्थ्य स्थिति का दिया हवाला, कोर्ट ने कहा-जेल में मिलेगी आवश्यक चिकित्सा सुविधा
मोहाली के पूर्व आरटीओ, जो भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं, को अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया। उन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया, लेकिन अदालत ने कहा कि उन्हें जेल में ही ज़रूरी चिकित्सा सुविधाएँ मिलेंगी। भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते उनकी याचिका खारिज कर दी गई और मामले की जाँच जारी है।

कोर्ट ने कहा- आरोपित को जेल नियमों के अनुसार सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
जागरण संवाददाता, मोहाली : अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में आरोiपित पूर्व आरटीओ प्रदीप सिंह ढिल्लों की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी है। आरोपित ने अपनी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर जमानत की मांग की थी। अदालत ने जमानत देने से इन्कार कर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में भले ही गंभीर बीमारियों का उल्लेख है, लेकिन आरोपित की प्रभावशाली स्थिति को देखते हुए जमानत देने से गवाहों को प्रभावित करने की आशंका बनी रहती है। इसलिए कोई ठोस आधार नहीं बनता कि आरोपित को अंतरिम नियमित जमानत दी जाए। इसके साथ ही जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि आरोपित को जेल नियमों के अनुसार सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
आरोपित प्रदीप सिंह मोहाली में आरटीओ था। उसके खिलाफ सात अप्रैल को मामला दर्ज किया गया था। सेंट्रल जेल पटियाला के मेडिकल अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार आरोपित पिछले 25 वर्षों से टाइप-2 डायबिटीज और 30 वर्षों से हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित है। वर्ष 2023 में उसे स्ट्रोक हुआ था, जिससे उसकी बाई टांग में लगभग 60% विकलांगता आई है। इसके अलावा वह डायबिटिक रेटिनोपैथी से ग्रस्त है, जिससे दोनों आंखों की दृष्टि काफी कमजोर हो चुकी है।
27 अगस्त को उन्हें आपात स्थिति में राजिंद्रा अस्पताल पटियाला ले जाया गया था, जहां उन्हें सीने में तेज दर्द, सांस लेने में तकलीफ और अनियंत्रित शुगर के कारण भर्ती किया गया। जांच में हृदय रोग, लीवर और अन्य अंगों की समस्याएं सामने आईं। ईसीजी और इकोकार्डियोग्राफी रिपोर्ट में हृदय की कार्यक्षमता प्रभावित पाई गई।
विजिलेंस ब्यूरो ने अदालत में जवाब दाखिल करते कहा कि आरोपित एक प्रभावशाली व्यक्ति है और उसके अधीन काम करने वाले कई गवाह हैं। यदि उसे जमानत दी जाती है, तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है, जिससे जांच प्रभावित हो सकती है। अदालत ने पाया कि आरोपित की पहले दायर की गई जमानत याचिका इस अदालत, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले ही खारिज की जा चुकी है। आरोपित ने 21 अगस्त को आत्मसमर्पण किया था और तब से न्यायिक हिरासत में है।
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