चंडीगढ़ की माडल बुड़ैल जेल में कैदी से मिला Mobile, जेल प्रशासन की शिकायत पर केस दर्ज, पुलिस जांच में जुटी
चंडीगढ़ की माडल बुड़ैल जेल के भीतर कैदियों से मोबाइल मिलने की घटनाएं रुक नहीं रही हैं। सख्ती के बावजूद आसानी से मोबाइल समेत नशाली पदार्थ जेल के भीतर पहुंच रहा है। अभी जेल में बंद कैदी से मोबाइल मिला है।
कुलदीप शुक्ला, चंडीगढ़। चंडीगढ़ की माडल बुड़ैल जेल के भीतर कैदियों के सामने जेल प्रशासन की सख्ती के दावे धुंआ बनकर उड़ते नजर आ रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सख्ती के बावजूद कैदियों तक मोबाइल समेत कई सामान जिसमें नशा भी पहुंच रहा है। जेल की बैरक नंबर-12 में बंद सजाराफ्ता कैदी सोनू उर्फ बकरी से मोबाइल फोन मिला है। कैदी की निक्कर के जेब से मोबाइल और फोन की बैटरी बरामद हुई है। जेल एडिशनल सुपरिंटेंडेंट अमनदीप सिंह की शिकायत पर सेक्टर-49 थाना पुलिस ने मोबाइल व बैटरी जब्त कर आरोपित के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है।
जेल एडिशनल सुपरिंटेंडेंट अमनदीप सिंह ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वेलफेयर आफिसर दीप सिंह को सूचना मिली थी कि जेल नंबर-6 के बैरक नंबर-12 में कैदी सोनू उर्फ बकरी के पास मोबाइल फोन है। वह रात को काल कर किसी से बात करता है। इसी सूचना के आधार पर दीप सिंह, वार्डन विशाल, धर्मपाल समेत कर्मचारियों की टीम ने कैदी सोनू की तलाशी ली तो उसकी निक्कर की जेब से एक मोबाइल फोन और बैटरी मिली।
पिछले महीने मिले थे मोबाइल व नशीले पदार्थ
12 सितंबर को जेल में कैदी कुलदीप और अतुल बाहर से फेंका गया सामान उठाने के लिए जब जेल के पीछे पहुंचे तो संतरी ने दोनों को पकड़ा था। तलाशी में परमजीत, अतुल और कुलदीप के कब्जे से चार मोबाइल फोन, 2.87 ग्राम चरस, 15.87 ग्राम गांजा और 1.84 ग्राम अफीम बरामद हुई थी।
एक ही कैदी से 3 बार मिले थे मोबाइल
इससे पहले बैरक नंबर-15 में बंद कैदी राजन भट्टी से तीन बार मोबाइल फोन बरामद हो चुके हैं। आखिरी बार सितंबर 2021 में जेल सुपरिंटेंडेंट ने बैरक में तलाशी के दौरान उससे एक मोबाइल, सिम और ईयरफोन बरामद किए थे। पूछताछ में वह कोई जवाब नहीं दे पाया।
जैमर के बावजूद कैसे बैरक में कैसे चलते हैं मोबाइल
हैरानी की बात है कि बुड़ैल जेल में जैमर लगे हुए हैं। इस वजह से जेल के आसपास रिहायशी एरिया में रहने वाले लोग भी मोबाइन नेटवर्क की समस्या से परेशान है। लेकिन कैदी रात के समय बैरक में मोबाइल इस्तेमाल कर रहे हैं। लगातार मोबाइल, नशीला पदार्थ समेत प्रतिबंधित चीजें कैदियों से मिलने का सिलसिला बंद नहीं होने के कारण जेल प्रशासन की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।