Punjab Weather Updates: पंजाब में मौसम विभाग ने जारी किया बारिश का येलो अलर्ट, गेहूं किसानों की बढ़ी टेंशन
Punjab Weather Updates पंजाब में मौसम विभाग ने गेहूं किसानों की टेंशन बढ़ा दी है। मंडियों में गेहूं की आवक भी तेज हो गई है। शुक्रवार को ही एक दिन में राज्य की मंडियों में 12.83 लाख टन गेहूं की आवक हुई है। कुल 60.92 लाख टन गेहूं की खरीद अब तक हो चुकी है। मंडियों में गेहूं का अंबार लगने लगा है।
इन्द्रप्रीत सिंह, सरहिंद-मोरिंडा। मौसम विभाग के शनिवार और रविवार को एक बार फिर से राज्य में कई जगह तेज हवाएं चलने और वर्षा के येलो अलर्ट ने किसानों में चिंता में डाल दिया है। चूंकि राज्य में मौसम फिर से खराब होने की संभावना है, इसलिए किसानों ने गेहूं की कटाई तेज कर दी है। साथ ही मंडियों में गेहूं की आवक भी तेज हो गई है।
शुक्रवार को ही एक दिन में राज्य की मंडियों में 12.83 लाख टन गेहूं की आवक हुई है। कुल 60.92 लाख टन गेहूं की खरीद अब तक हो चुकी है। मंडियों में गेहूं का अंबार लगने लगा है। वहीं खरीद एजेंसियों ने अब तक 17. 83 लाख टन गेहूं की ढुलाई की है। रोजाना करीब पांच लाख टन के करीब ही लिफ्टिंग हो पा रही है। अगर लिफ्टिंग की रफ्तार इसी प्रकार से सुस्त रहती है तो एक दो-दिनों में ही मंडियों में गेहूं को संभालना मुश्किल हो जाएगा।
ओलावृष्टि से हुए नुकसान का नहीं मिला मुआवजा
वहीं, मंडियों में आ रहे किसानों को इस बात का दुख है कि फरवरी और अप्रैल महीन में हुई ओलावृष्टि से हुए नुकसान की न तो गिरदावरी हुई है और न ही किसी किस्म का मुआवजा मिला है। बता दें कि राज्य में बार-बार बदल रहे मौसम और वर्षा के बावजूद भारी गर्मी के कारण फसलों में नमी तो कम है। केवल बारिश के दिनों में एक-दो प्रतिशत ज्यादा हो जाती है, लेकिन अब जिस प्रकार से पंजाब की मंडियों में एक दिन में 23 लाख टन तक गेहूं आ रही है, उससे सरकार की चिंताएं बढ़ रही हैं।
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खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारी मानते हैं कि अभी उतनी दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर फिर से वर्षा हुई तो खरीद और ढुलाई दोनों का काम प्रभावित हो सकता है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के डायरेक्टर पुनीत गोयल ने बताया कि पिछले सीजनों में साढ़े चार लाख टन से ज्यादा लिफ्टिंग कभी नहीं हुई, लेकिन हमने इस बार पांच लाख से ज्यादा करवा दी है। इसी तरह आम तौर पर पीक सीजन में रोजाना 9 लाख टन ही गेहूं आती है, लेकिन इस बार 12 से 13 लाख टन आ रही है। पूरे प्रदेश में गेहूं खरीद का काम सुचारू ढंग से चल रहा है।
धरनों के बगैर कभी क्या किसी सरकार ने हमारी बात सुनी : केसर सिंह
रूपनगर जिले के मोरिंडा से छह किलोमीटर दूर से गांव डूमछेड़ी के केसर सिंह की 13 एकड़ जमीन में है। इसमें से पांच एकड़ में ओलावृष्टि के कारण फसल खराब हो गई है, लेकिन उसे कोई मुआवजा नहीं मिला। बाकी की जमीन पर पैदावार 18 क्विंटल आई है। उन्होंने बताया कि अब वर्षा का येलो अलर्ट होने पर हर हालत में गेहूं काटकर मंडियों में पहुंचानी पड़ेगी। हमारा पहले ही नुकसान हो चुका है।
मुआवजा न मिलने के कारण के बारे में केसर सिंह बड़े सहज भाव से जवाब देते हैं। जितना किस्मत में लिखा है उतना तो ऊपर वाला दे ही देगा। सरकारों के भरोसे नहीं रह सकते। वोटां तों पहलां बथेरा केहंदे ने, मुआवजा देवांगे, इक पैसा नहीं मिलेया। वह दूसरी बार ट्राली लेकर आए हैं। उन्होंने बताया, फिर ये हमें कहते हैं कि आप धरनों में जाते हो। धरनों के बगैर कभी क्या सरकार ने हमारी बात सुनी है।
हम भी दूसरी फसल लगाना चाहते हैं पर मंडी नहीं: रतन सिंह
दौलतपुर के रतन सिंह की भी छह एकड़ जमीन खराब हुई है। उनके गांव में भी कोई गिरदावरी नहीं हुई। उन्होंने बताया कि खराब हुई फसल की फिर से जुताई करके सूरजमुखी लगाने का विचार था, लेकिन अगले ही दिन ही बारिश हो गई जिस कारण खेतों में पानी खड़ा हो गया। फिर विचार त्याग दिया। वह बताते हैं हम तो चाहते हैं कि गेहूं और धान का रकबा कम करें और सूरजमुखी जैसी फसलें लगाएं। यह आलू के बाद लगाई जा सकती हैं, लेकिन हमारे इलाके में दिक्कत यह है कि इसे हम चुन्नी या सरहिंद में नहीं बेच सकते, राजपुरा जाना पड़ता है। अन्यथा यह भी गेहूं के बराबर पैसे दे देती है।
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न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर सड़कों और रेल ट्रैक पर बैठे किसानों के बारे में उन्होंने कहा कि जब कोई बीमारी लगती है तो इलाज के लिए डाक्टर के पास तो जाना ही पड़ता है। अब डाक्टर हमें अपने पास आने ही नहीं दे रहा तो हम क्या करें? क्या सड़क हमने रोकी है? पुलिस ने रोकी है। यह पूछने पर कि रेल ट्रैक तो आपने ही रोका है, हमें तीन महीने हो गए बैठे हुए क्या सरकारों को यह नहीं चाहिए कि वे किसानों की बात सुनें। यह पूछने पर कि आप लोगों को एमएसपी मिल रही है , फिर आप क्यों धरने दे रहे हैं। रतन सिंह बोले, पंजाब तो हमेशा ही दूसरे किसानों के लिए खड़ा आया है।
पड़ोसी से ट्राली लेकर पहुंचा हूं मंडी: गुरप्रीत सिंह
हुसैनपुर के गुरप्रीत सिंह और उनके भाई 26 एकड़ की खेती करते हैं। वह धरनों आदि में नहीं जाते। बताते हैं कि इतना समय कहां है? पहले ही सात एकड़ फसल ओले के कारण खराब हो गई। पांच क्विंटल प्रति एकड़ भी नहीं निकली। आस पड़ोस वालों की ट्रालियां लेकर मंडी में आ गया। अगर सुबह वाली बोली में हमारी फसल बिक गई तो शाम को दूसरी ट्राली भी भरवा लूंगा। वर्षा का कोई भरोसा नहीं है। गुरप्रीत का गांव मटरां, मोहाली एयरपोर्ट के पास है। उनकी जमीन गमाडा ने अधिगृहीत कर ली तो उनके परिवार ने सरहिंद के पास गांव हुसैनपुर में 22 एकड़ जमीन ले ली। चार एकड़ अब भी चंडीगढ़ के पास है।
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