करोड़ों रुपये की साइबर धोखाधड़ी का मुख्य आरोपी मयंक कादियान मोहाली से गिरफ्तार, बेंगलुरू पुलिस की कार्रवाई
बेंगलुरु पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी के मुख्य आरोपी मयंक कादियान को मोहाली से गिरफ्तार किया है। मयंक पर बेंगलुरु के एक व्यावसायिक घराने से 4 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी का आरोप है। पुलिस के अनुसार मयंक गिरफ्तारी से बचने के लिए लगातार ठिकाने बदल रहा था। मयंक की बहन गरिमा कादियान और जीजा सचिन तोमर पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं।

वेद शर्मा, मोहाली। करोड़ों रुपये की साइबर और वित्तीय धोखाधड़ी के मुख्य आरोपित मयंक कादियान को बेंगलुरु पुलिस ने एक लंबी और सघन तलाशी अभियान के बाद मोहाली से गिरफ्तार कर लिया है। लगभग पांच से छह महीने से फरार चल रहे मयंक को उसके मोहाली स्थित आवास से दबोचा गया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, मयंक गिरफ्तारी से बचने के लिए लगातार अपनी जगह बदल रहा था। वह उत्तर प्रदेश, करनाल, बेंगलुरु, चंडीगढ़ के बीच ठिकाने बदलता रहा और अंततः उसे मोहाली में पकड़ा गया। बेंगलुरु पुलिस कई महीनों से उसका पीछा कर रही थी।
चार करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी
जांच अधिकारियों का आरोप है कि वर्ष 2023 से, मयंक कादियान ने अपनी बहन गरिमा कादियान और जीजा सचिन तोमर के साथ मिलकर बेंगलुरु के एक प्रतिष्ठित व्यावसायिक घराने से 4 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी की है। इस जांच से एक सुव्यवस्थित और हाई-प्रोफाइल जालसाजी नेटवर्क का खुलासा हुआ है। मुख्य तिकड़ी के अलावा, छह से सात अन्य सहयोगी भी प्राथमिकी में नामजद हैं। गरिमा और सचिन तोमर को पुलिस पहले ही बेंगलुरु में गिरफ्तार कर चुकी हैं।
इस तरह करते थे धोखाधड़ी
पुलिस शिकायत के अनुसार, इस गिरोह ने पीड़ितों का विश्वास जीतने के लिए एक सोची-समझी रणनीति अपनाई। गिरोह सबसे पहले अपने शिकार के बैंक खातों की विस्तृत जानकारी जुटाता था। इस संवेदनशील वित्तीय डेटा को प्राप्त करने में सचिन तोमर ने अहम भूमिका निभाई, जो पहले एक बैंक में कार्यरत था। आरोपित गरिमा कादियान कथित तौर पर पीड़ितों के साथ व्यक्तिगत या पारिवारिक संबंध स्थापित करने के लिए जाल बिछाती थी और उनका भरोसा जीतती थी।
एक बार विश्वास कायम होने के बाद, गिरोह पीड़ित की प्रोफाइल के अनुसार आकर्षक प्रलोभन देता था जैसे कि अमेरिका का वीजा दिलवाना, नए रेस्तरां या खाद्य शृंखला शुरू करने में मदद करना, या अचल संपत्ति (रियल एस्टेट) में भारी मुनाफे वाले निवेश का मौका देना।
इसके अलावा, गिरोह धन हड़पने के लिए जाली पहचान पत्रों और फर्जी आधार कार्डों का उपयोग करता था। विश्वसनीयता बनाने के लिए, वह शुरुआत में छोटे निवेश पर मुनाफा वापस करते थे, जिससे पीड़ित को लगता था कि वह भरोसेमंद और अमीर लोग हैं। बड़ी रकम ऐंठने के लिए, वह नकली जमीन और संपत्ति के दस्तावेज़ तैयार करते थे। अधिकांश लेन-देन नकदी में किए जाते थे या उन्हें संपत्ति सौदों का रूप दिया जाता था, ताकि बाद में आपराधिक आरोपों से बचने के लिए इसे दीवानी (सिविल) विवाद बताया जा सके।
गिरोह पर वर्ष 2018 से ही छह से सात आपराधिक मामले दर्ज हैं। रिपोर्टों से पता चलता है कि गिरोह के कुछ सदस्यों के प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ मजबूत संबंध थे, जो कथित तौर पर उन्हें कानून प्रवर्तन और न्यायिक कार्रवाई से सुरक्षा दिलवाने में मदद करते थे। इससे पहले, बेंगलुरु पुलिस ने 5 मई 2025 को भी आरोपियों को चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया था, और एक जुलाई 2025 को चंडीगढ़ के खंड 39 में भी एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अधिकारियों ने पुष्टि की है कि आगे की जांच जारी है। अन्य सहयोगियों का पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी की जा रही है। पुलिस इस धोखाधड़ी नेटवर्क के पूरे विस्तार का पर्दाफाश करने के लिए संदिग्धों के ठिकानों, जाली दस्तावेजो और बैंक लेन-देन की गहनता से जांच कर रही है।
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