चंडीगढ़ से 10 किमी दूर गांव माता जयंती देवी का मंदिर, मान्यता ऐसी कि डाकू बना दिया था राजा
Chaitra Navratri 2022 जयंती देवी माता मंदिर चंडीगढ़ से लगभग 10 से 12 किमी की दूर गांव माजरी की पहाड़ी पर स्थित है। इन दिनों चैत्र नवरात्र को लेकर माता ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। शहर में आठ सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित मां जयंती देवी सुख-स्मृद्धि से लेकर श्रद्धालुओं की हर प्रकार की मनोकामना को पूरा करती है। जयंती देवी माता मंदिर चंडीगढ़ से लगभग 10 से 12 किमी की दूर गांव माजरी की पहाड़ी पर स्थित है। इन दिनों चैत्र नवरात्र को लेकर माता के दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ लगी हुई है। आम दिनों में भी बड़ी सख्या में लोग माता जयंती देवी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। चंडीगढ़ ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के लोग भी खास तौर पर माता जयंती देवी के दर आते हैं। सबसे ज्यादा भक्तों की संख्या रविवार को मंगलवार को रहती है। मान्यता है कि यहां सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद पुरी होती है और माता रानी फकीर को भी राजा बना देती है।
मंदिर का इतिहास
मंदिर का निर्माण राजा गरीब दास द्वारा कराया माना जाता है। मंदिर के पुजारियों ने बताया कि माता की पिंडी हिमाचल प्रदेश के जिला कांगडा से 17वीं सदी के तत्कालीन हथनौर रजवाड़े के राजकुमार की शादी के समय लाई गई थी। हथनौर के राजकुमार की शादी कांगड़ा की राजकुमारी के साथ हुई थी। शादी के बाद पिंडी हथनौर राज्य की नदी के किनारे स्थापित की गई। राजकुमारी की माैत के बाद माता की पूजा बंद हो गई और उस समय के डाकू गरीब दास ने पूजा शुरू की। पूजा के दौरान डाकू गरीब दास पिंडी को नदी के किनारे से उठाकर शिवालिक की पहाड़ी पर स्थापित किया। डाकू गरीब दास राजा बन गया और शिवालिक की पहाड़ी के नीचे माजरी गांव की स्थापना हुई और आज मंदिर का नाम जयंती माजरी से जाना जाता है। जहां पर भक्त मनोकामना पूरी करने के लिए चंडीगढ़ के अलावा विभिन्न राज्यों से आते है।
माता जयंती देवी के मंदिर में आकर मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने के बाद श्रद्धालु लगातार मंदिर आते हैं। भक्तों की सेवा के चलते नवरात्र और आम दिनों में लंगर भी लगाया जाता है। श्रद्धालु मनोकामना पूरी होने के बाद खुद की इच्छा अनुसार मंदिर की मरम्मत भी करवाते हैं।
-पंडित देवेंद्र शर्मा, पुजारी मां जयंती देवी

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