मनीमाजरा रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट, विवादों में फंसती दिख रही चंडीगढ़ के इतिहास की सबसे बड़े बजट की नीलामी
मनीमाजरा रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट की नीलामी विवादों में है। विपक्ष नीलामी रोकने की मांग कर रहा है वहीं मेयर नीलामी कराने के पक्ष में हैं। मुख्य सचिव के लौटने पर नीलामी पर फैसला होगा। नीलामी से नगर निगम को एक हजार करोड़ से अधिक राजस्व मिल जाएगा। इस पैसे से विकास कार्य होंगे।

बलवान करिवाल, चंडीगढ़। मनीमाजरा रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट की नीलामी अभी शुरू भी नहीं है। यह चंडीगढ़ के इतिहास की सबसे बड़े बजट की नीलामी साबित होगी, लेकिन यह विवादों में उलझती दिख रही है। प्रशासक गुलाब चंद कटारिया तक इस प्रोजेक्ट की शिकायत पहुंचने से नीलामी टलने की चर्चाएं होने लगी हैं। विपक्षी पार्षद नीलामी रुकवाना चाहते हैं, लेकिन मेयर हरप्रीत कौर बबला और निगम के अधिकारी चाहते हैं कि बड़ी मुश्किल से प्रशासन से सभी मंजूरी मिल पाई है, इसलिए अब नीलामी हो जानी चाहिए।
नीलामी से नगर निगम को एक हजार करोड़ से अधिक राजस्व मिल जाएगा और विकास कार्यों के लिए खूब पैसा होगा। इकलौती ऐसी प्राॅपर्टी का प्रोजेक्ट होगा जिसमें एक हजार करोड़ से अधिक का लेन-देन होगा। विपक्ष के पार्षद सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी, डिप्टी मेयर तरुणा मेहता नीलामी पर रोक चाहते हैं। वह कई तरह के आरोप लगा रहे हैं। भाजपा के भी एक दो पार्षद इसके पक्ष में नहीं हैं। बेशक वह पार्टी प्रोटोकाल की वजह से खुले मन से नहीं बोल रहे लेकिन अंदरखाते नीलामी नहीं चाहते।
इसलिए वजह से अटकाए जा रहे राजनीतिक रोड़े
नीलामी हुई तो मेयर हरप्रीत कौर को इसका श्रेय जाएगा इस वजह से भी राजनीतिक रोड़े अटकाए जा रहे हैं। कई भावी मेयर यह चाहते हैं कि अगले वर्ष उनके कार्यकाल में नीलामी होगी तो ठीक रहेगा। चीफ सेक्रेटरी राजीव वर्मा छुट्टियों के बाद सोमवार को यूटी प्रशासन ज्वाइन करेंगे। उनके नहीं होने से ही नीलामी प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई थी। अब उनके आने पर ही इस पर निर्णय होगा। हालांकि प्रशासक से पहले ही नीलामी को लेकर हरी झंडी मिलने के बाद अब नीलामी रुकने की संभावना बेहद कम है। पहले ही इस पर लंबी बैठकें और चर्चा हो चुकी है।
सीनियर, डिप्टी मेयर उठा रहे सवाल
सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी, डिप्टी मेयर तरुणा मेहता और पार्षद प्रेमलता इस नीलामी की शिकायत सेक्रेटरी लोकल गवर्नमेंट मनदीप बराड़ और प्रशासक से कर चुके हैं। इस साइट पर खाली पूरी 20 एकड़ जमीन नीलाम नहीं करने, 7.7 एकड़ जमीन पांच प्लाॅट में नीलाम नहीं करने जैसे सवाल वह उठा रहे हैं। साथ ही नीलामी से पहले यहां सड़क, सीवरेज जैसी सुविधा पर दस करोड़ निगम के खर्च करने को भी फिजूलखर्ची बता रहे हैं।
हालांकि यह दस करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव इन पार्षदों की मौजूदगी में पास किया गया था। एक पार्षद ने तो मेयर की प्रशंसा और आभार तक जताया था। भाजपा उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह बबला ने कहा कि पहले प्रस्ताव खुद पास किया बाद में विरोध करने लगे। इनका यही काम है पहले काम नहीं करते कहेंगे, करने पर रोड़ा अटकाएंगे। ऐसे सवालों से विवाद बढ़ रहा है।
794 करोड़ है रिजर्व प्राइज
मनीमाजरा में 7.7 एकड़ जमीन इस प्रोजेक्ट के लिए नीलाम होनी है। इसका रिजर्व प्राइज 794 करोड़ रुपये है। निगम को इससे एक हजार करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। निगम का वित्तीय संकट इस नीलामी से खत्म हो जाएगा। साथ कई सौ करोड़ बच भी जाएंगे। फंड नहीं होने से निगम के विकास कार्य रुके हुए हैं। वी-3 रोड तक प्रशासन को सौंपने पड़े।
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