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    जालंधर सिविल अस्पताल ऑक्सीजन प्लांट मामले में बड़ी कार्रवाई, तीन डॉक्टरों को किया निलंबित; एक बर्खास्त

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 07:14 PM (IST)

    जालंधर के सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट बंद होने से तीन मरीजों की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने सख्त कार्रवाई की है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने तीन डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है और एक को बर्खास्त कर दिया है। यह कार्रवाई जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद की गई है। मंत्री ने संकेत दिए कि निलंबित डॉक्टरों को भी बर्खास्त किया जा सकता है।

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    जालंधर में ऑक्सीजन का प्लांट बंद होने की घटना को लेकर तीन डॉक्टरों को निलंबित और एक को बर्खास्त किया।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। जालंधर के सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट बंद होने के चलते आईसीयू में भर्ती तीन मरीजों के मरने की घटना का सख्त नोटिस लेते हुए स्वास्थ्य विभाग ने तीन डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है और एक डॉक्टर को बर्खास्त कर दिया गया है। यह कार्रवाई इस मामले में विभाग के डायरेक्टर की अगुवाई में गठित तीन सदस्यीय कमेटी की प्राथमिक रिपोर्ट मिलने के बाद स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने की है।

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    साथ ही उन्होंने संकेत दिए कि अभी इस मामले की गहन जांच चल रही है इसलिए जिन तीन डॉक्टरों को निलंबित किया गया है उन्हें भी बर्खास्त किया जा सकता है। जिन डॉक्टरों को निलंबित किया गया है उनमें डॉ. राजकुमार एमएस, डॉ. सुरजीत सिंह एसएमओ , डॉ सोनाक्षी कंसल्टड एनसथिसिया शामिल हैं । डॉ. शविंदरसिंह जो हाउस सर्जन थे और जिनकी वहां पर ड्यूटी थी को बर्खास्त कर दिया गया है।

    सेहत मंत्री बलबीर सिंह ने मरीजों की जान न बचा पाने के लिए अफसोस जताया और कहा कि अस्पताल में किसी भी प्रकार के स्टाफ, इक्यूपमेंट आदि की कमी नहीं है। उन्होंने माना कि अगर कमी है तो वह स्थानीय स्तर के प्रशासन की है मेडिकल सुप्रएसएमओ, हाउस सर्जन जो डॉक्टर आन ड्यूटी थे। गैर जिम्मेवार व्यवहार के कारण ऐसा हुआ। हालांकि डा बलबीर सिंह ने यह नहीं बताया कि आक्सीजन प्लांट को जो इंजीनियर चलाते हैं उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है?

    उन्होंने कहा कि अभी यह गहन जांच में सामने आएगा। उन्होंने कहा कि इंजीनियर को अगर छुट्टी दे दी गई तो उसका वैकल्पिक प्रबंध तो अस्पताल की मैनेजमेंट ने करना होता है। आक्सीजन प्लांट को धोबी के चलाने के मामले में डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि आक्सीजन प्लांट को चलाने के लिए आईसीयू में काम करने वाले सभी को ट्रेंड किया जाता है। दूसरा, वह वार्ड ब्वाय है जो आक्सीजन प्लांट बंद होने या प्रैशर घटने पर वैकल्पिक सिस्टम को चलाने के लिए प्रशिक्षित है।

    ऐसा करना जरूरी भी होता है क्योंकि आपातकाल में किसी भी जरूरत पड़ सकती है। इक्यूपमेंट की कोई कमी नहीं... जालंधर में अस्पताल आक्सीजन प्लांट के पीएसए जो दो कंप्रेसर होते हैं जो वैकलिपक तौर पर काम करता है। इसके अलावा एक मेनिफोल्ड सिस्टम होता है जिसमें 17-18 सिलेंडर लगे होते हैं अगर प्लांट बंद होता है तो ये आटोमेटिक तौर पर चल पड़ते हैं। इसके अलावा लिक्विड मेडकिल आक्सीजन का प्लांट भी है। चार- चार आक्सीजन के स्रोत वहां थे लेकिन वहां की मैनेजमेंट इतनी खराब थी कि हम मरीजों को नहीं बचा पाए।

    उन्होंने बताया कि बिजली के हाटलाइन कनेक्शन दे रहे हैं, पावर बैकअप दे रहे हैं। सिविल सर्जनों को पैसे भी दिए हैं ताकि वे डीजल सहित अन्य चीजों की जरूरत को पूरा कर सकें। पावर और अक्सीजन सप्लाई तो एक मिनट के लिए भी रुकने दे सकते। डा बलबीर ने बताया कि 49 इंटर्न मेडिकल अफसर, 49 डीएनबी जो पोस्ट ग्रेजुएशन करते हैं , 14 हाउस सर्जन 17 मेडिकल अफसर और नौ अन्य डॉक्टर वहां पोस्टड हैं। इसके बावजूद यह हादसा हुआ, इससे बड़ा जुर्म नहीं हो सकता, इससे बड़ी कोताही नहीं हो सकती।

    स्वास्थ्य मंत्री ने आक्सीजन प्लांट और वेंटीलेटर को बताया कबाड़, पिछली सरकार पर फोड़ा ठीकरा स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने अस्पतालों में लगे हुए वेंटीलेटर और आक्सीजन प्लांटों को कबाड़ बताते हुए इसे लगाने का ठीकरा पूर्व सरकारों पर फोड़ा। उन्होंने कहा कि ये सफेद हाथी हैं जो हमारे गले बांध दिए गए हैं।

    हालांकि, जब उनसे यह पूछा गया कि कोरोना काल में जब ये लगाए गए थे, तब तो सभी नियमों को दरकिनार करके इन्हें लगाया गया था ताकि कोरोना में आक्सीजन की कमी के कारण मरने वाले लोगों को बचाया जा सके, इस पर डा बलबीर ने कहा कि कोरोना, भूकंप और बाढ़ में कई बार बहुत से लोगों की चांदी हो जाती है। उन्होंने बताया कि जो प्लांट लगाए गए हैं इसकी आक्सीजन जहां साठ रुपए प्रति किलो पड़ती है वहीं इसकी मेंटेनेंस भी बहुत ज्यादा है।