Mahashivratri 2025: शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़, 'बम बम भोले' का गूंज रहा जयकारा; देखें Photos
Maha Shivratri 2025 महाशिवरात्रि की धूम पूरे देश में देखने को मिल रही है। पंजाब के मंदिरों में भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। श्री देवी तालाब मंदिर गगन जी का टिल्ला शिव मंदिर ठाकुर द्वारा प्राचीन शिव मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है। इस पावन पर्व पर दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) को लेकर मंदिरों में भगवान शिव की पूजा अर्चना शुरू हो चुकी है। मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा शिवालय में जलाभिषेक किया जा रहा है। जिसे लेकर कई मंदिरों के बाहर श्रद्धालुओं की कतारें लगने लगी है। वहीं कई जगहों पर शिवरात्रि को लेकर अस्थाई दुकानें भी सजाई गई है।
शिवालयों में उमड़े श्रद्धालु जलाभिषेक के दौरान बिल्व पत्र, भांग, धतूरा तथा फल-फूलों के पूजा अर्चना कर रहे हैं। महाशिवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के विवाह की वर्षगांठ भी मनाई जाती है।
पंजाब के एकमात्र सिद्ध शक्तिपीठ श्री देवी तालाब मंदिर में बुधवार को दिन भर भगवान शिव महिमा का उच्चारण किया जाएगा। श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर सूखा तालाब, चौक किशनपुरा में महाशिवरात्रि का पूजन करने के लिए पहुंच रहे श्रद्धालु। मुक्तसर में महाशिवरात्रि मौके मंदिरों में भारी संख्या में श्रद्धालु पूजन करने के लिए पहुंच रहे हैं।
पांडवों द्वारा स्थापित ऐतिहासिक गगन जी का टिल्ला शिव मंदिर जो पंजाब में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है और यहां पहुंचने के लिए 766 सीढियां चढ़ कर पहुंचा जा सकता है।
आज महाशिवरात्रि पर्व पर दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं की आमद होगी। इस समय सीढियां चढ़ते हुए हजारों श्रद्धालुओं की तस्वीर।
फगवाड़ा शहर के मंदिरों में महाशिवरात्रि उत्सव धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। मंदिर कमेटियों द्वारा कई प्रबंध किए गए हैं तथा मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी लाइटिंग के साथ सजाया गया है। फगवाड़ा के ठाकुर द्वारा प्राचीन शिव मंदिर (पक्का बाग) जो कि स्टार्च मिल मंदिर के नाम से विख्यात है।
माछीवाड़ा में स्थित ऐतिहासिक श्री शिवाला बह्मचारी मंदिर एक ऐसा मंदिर है जो पंजाब में केवल एक और पूरे देश में केवल दो हैं। इसका दूसरा मंदिर उत्तर प्रदेश में है। इस मंदिर में सिद्धपीठ मंदिर होने के सभी गुण हैं। इस मंदिर का ऐतिहासिक पहलू ये भी है कि मंदिर में शिवलिंग की स्थापना पांडव पुत्रों ने की थी।
पांडव पुत्रों ने अपने वनवास के दौरान अज्ञातवास की एक रात इस स्थान पर बिताई थी। अगली सुबह पांडव पुत्रों ने नित्य क्रिया करने के बाद शिवलिंग की पूजा करने के लिए गंगा मैया की अराधना की। उनकी अराधना से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि मैं यहां प्रतिदिन अढाई पल के लिए आऊंगी।
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