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    LOAN FRAUD CASE हरियाणा के पूर्व मंत्री सुभाष चौधरी और उनके परिजनों चलेगा मुकदमा, हाईकोर्ट का राहत से इन्कार

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 06:26 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा के पूर्व मंत्री सुभाष चौधरी और उनके परिवार पर धोखाधड़ी के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा रद करने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सुबूत हैं और आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। सरकार ने दलील दी थी कि एफआईआर रद करने से अपराधियों का हौसला बढ़ेगा।

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    हाईकोर्ट ने हाई-प्रोफाइल लोन फ्राॅड मामले की आपराधिक कार्रवाई को रद करने से इन्कार किया।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा के पूर्व मंत्री और दो बार विधायक रहे सुभाष चौधरी, उनकी पत्नी, भाई तथा राजनीतिक सलाहकार समेत अन्यों पर दर्ज हाई-प्रोफाइल लोन फ्राॅड मामले की आपराधिक कार्रवाई को रद करने से इन्कार कर दिया है। यह आदेश जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने पूर्व मंत्री के राजनीतिक सलाहकार दीप चंद की याचिका खारिज करते हुए दिए। 

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    कोर्ट ने माना कि जांच के दौरान पर्याप्त सुबूत सामने आए हैं जो आरोपितों की संलिप्तता साबित करते हैं। इस आधार पर याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने साफ किया कि आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और मुकदमा आगे चलेगा। इस फैसले के बाद पूर्व मंत्री सुभाष चौधरी, उनकी पत्नी कुसुम रानी, भाई अशोक कुमार, राजनीतिक सलाहकार दीप चंद और अन्य के खिलाफ ट्रायल का रास्ता साफ हो गया है।

    याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि उसने यमुनानगर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक से लिया गया ऋण चुका दिया है, इसलिए उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद की जाए। सुभाष चौधरी फिलहाल कांग्रेस की राजनीति करते हैं। यमुनानगर जिले की जगाधरी विधानसभा सीट से विधायक रह चुके सुभाष चौधरी हरियाणा विकास पार्टी (हविपा) की सरकार में मंत्री रहे हैं। 15 अक्टूबर 2018 को थाना बुडिया (जिला यमुनानगर) में धारा 406, 409, 420, 467, 468, 471, 120-बी आईपीसी के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों में एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप है कि पूर्व मंत्री सुभाष चौधरी, उनकी पत्नी कुसुम रानी, भाई अशोक कुमार (तत्कालीन बैंक चेयरमैन), सलाहकार दीप चंद और अन्यों ने मिलकर जाली दस्तावेज़ और राजस्व रिकार्ड में हेरफेर कर लगभग 71 लाख रुपये के कृषि ऋण ले लिए।

    अभियोजन पक्ष के अनुसार बंजर भूमि को उपजाऊ दिखाने के लिए फर्जी जमाबंदी और गिरदावरी तैयार की गई थी। इतना ही नहीं, आरोपितों ने ऋण वापसी से बचने के लिए अपनी जमीन को बाढ़ग्रस्त बताने का झूठा दावा भी किया। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 16 मार्च 2021 को चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और आठ जून 2021 को ट्रायल कोर्ट आरोप तय कर चुका है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में एफआईआर रद करने से अपराधियों का हौसला बढ़ेगा और न्याय प्रणाली की जड़ें हिलेंगी।