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    हिमादास की तरह दिव्यांशी शुक्ला से भी हैं सबको बड़ी उम्मीदें

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 19 Mar 2020 06:07 AM (IST)

    डीएवी कॉलेज में सेकेंड ईयर में पढ़ने वाली दिव्यांशी शुक्ला ने खेलो इंडिया में जीता था मेडल। ...और पढ़ें

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    हिमादास की तरह दिव्यांशी शुक्ला से भी हैं सबको बड़ी उम्मीदें

    विकास शर्मा, चंडीगढ़ : डीएवी कॉलेज में सेकेंड ईयर में पढ़ने वाली दिव्यांशी शुक्ला ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में 4 गुणा 100 मीटर की रिले रेस में सिल्वर मेडल जीता है। पिछले साल खेलो इंडिया गेम्स से मेडल जीतने से चूक गई दिव्यांशी बेहतरीन एथलीट हैं, उनकी उपलब्धियों से कोच खासे उत्साहित हैं। दिव्यांशी के कोच मनिदर सिहं हीरा बताते हैं बीए सेकेंड ईयर में पढ़ने में फ‌र्स्ट एथलीट दिव्यांशी की काबलियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिव्यांशी जिस भी प्रतियोगिता में जाती हैं, वहां से मेडल जरूरत जीतती हैं। दिव्यांशी के प्रदर्शन से उसके कोच खासे उत्साहित है। उनको उम्मीद है कि दिव्यांशी भविष्य में जरूर बड़ी खिलाड़ी बनेगी। साल 2014 में मिला ध्यान चंद अवॉर्ड

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    दिव्यांशी ने बताया कि छठी क्लास में उसने दौड़ना शुरू किया था। साल 2010 में जूनियर स्टेट टूर्नामेंट के 100 मीटर रेस में और जंप में ब्रांज मेडल जीता। साल 2011-12 में जूनियर स्टेट में 100 मीटर में गोल्ड मेडल था। इस साल जूनियर नेशनल में हिस्सा लिया, लेकिन कोई मेडल नहीं आया। नोर्थ जोन एथलेटिक्स में दो गोल्ड मेडल जीते। साल 2013 में भी इंटर स्कूल, इंटर स्टेट के अलावा स्कूल नेशनल गेम्स, नोर्थ जोन गेम्स में गोल्ड मेडल जीते। साल 2014 में ध्यान चंद अवार्ड मिला, तो 2015 में चंडीगढ़ स्पो‌र्ट्स डिपार्टमेंट की तरफ से बेस्ट एथलीट के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। साल 2016 और 2017 में भी इंटर स्टेट टूर्नामेंट में 100 मीटर और 200 मीटर में गोल्ड आए हैं। पिछले पंजाब के संगरूर में आयोजित नोर्थ जोन जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दिव्यांशी ने 100 मीटर और 200 मीटर प्रतियोगिता में ब्रांज मेडल जीता है। रोजाना 3 घंटे प्रेक्टिस

    दिव्यांशी ने बताया कि वह रोजाना तीन से चार घंटे सेक्टर-7 के स्पो‌र्ट्स काप्लेक्स में दौड़ने की प्रेक्टिस करती हैं। जब-जब प्रतियोगिता नजदीक होती है तो वह अपनी प्रेक्टिस और बढ़ा देती है। इसके साथ पढ़ाई के लिए भी समय निकालती हैं। मां-बाप को बेटी पर नाज

    दिव्यांशी के पिता रवि कुमार शुक्ला और मां सीमा शुक्ला बेटी की कामयाबी से खासे उत्साहित हैं। दिव्यांशी के पिता ने बताया कि वह बेटी को कभी किसी काम के लिए नहीं रोकते हैं। दिव्यांशी खेल के साथ कब अपनी पढ़ाई कर लेती है, इसका उन्हें पता ही नहीं चलता है। मेडल जीतकर लाती है तो जरूर खुशी होती है। वहीं दिव्यांशी की मां कहना है कि उन्हें अपनी बेटी पर नाज है।