हैप्पीनेस किसे कहते हैं इनसे सीखिए जनाब
बिजी शेड्यूल में खुश कैसे रहें इसके हजारों तरीके गूगल और यूट्यूब पर बताए गए हैं।
विकास शर्मा, चंडीगढ़ : आज वर्ल्ड हैप्पीनेस डे है। बिजी शेड्यूल में खुश कैसे रहें, इसके हजारों तरीके गूगल और यूट्यूब पर बताए गए हैं। खुशी की तलाश युवा नशे में, मोटी सैलरी में में तलाशते हैं। बावजूद इसके 20 की उम्र में 40 के लगते हैं। आज हम आपको तीन ऐसी शख्सियतों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने अपनी जिदगी में तमाम मुसीबतों के बावजूद सफलता के नए आयाम स्थापित किए, मुस्कारते-मुस्कारते जिदगी की हर चुनौती को पार किया और अभी स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। शौक रखता है आपको खुश
तीन बार के ओलंपिक मेडल विजेता टीम के सदस्य रहे पद्मश्री बलबीर सिंह सीनियर (95 वर्ष) से उनकी बेटी सुशबीर कौर ने पूछा कि आपको ईश्वर अगर दोबारा 20 साल का बना दे तो आप क्या करोगे। मुस्कारते हुए बलबीर सिंह सीनियर ने बोला कि वही जो पिछले 80 साल से कर रहा हूं, अभी हॉकी उठाकर मैदान में जाऊंगा और दोबारा से देश के ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतूंगा। सीनियर बताते हैं हॉकी खेलना, देखना मेरा शौक है, इससे मुझे खुशी मिलती है,। मेरे शौक ने कभी मुझे बूढ़ा नहीं होने दिया। मेरी लंबी उम्र का राज यही खुशी है, मेरे दोस्त हैं, मेरा परिवार है, मेरा कभी निराश न होने वाला स्वभाव है। खुश रहिए, हंसते रहिए। रोज अपने लिए भी 10 मिनट दौड़ें
उड़न सिख पद्मश्री मिल्खा सिंह (90 वर्ष) बताते हैं कि भाग मिल्खा भाग में मेरे जीवन का पांच फीसद संघर्ष भी नहीं दिखाया गया है। बचपन में मेरे सामने मेरे परिवार को काट दिया गया, बचपन से लेकर जवानी तक गरीबी में धक्के खाए। हार नहीं मानी, हर चुनौती को खुशी-खुशी स्वीकार किया और आज मेरे पास सब कुछ है। हंसता, खेलता हूं और परिवार के साथ हर छोटी बड़ी खुशी को मनाता हूं। मैं पूरी तरह से फिट हूं। लोगों से अपील है कि पूरी उम्र आप दूसरों के लिए दौड़ते रहते हो, कम से कम 10 मिनट रोज अपने लिए भी दौड़ें। दिमाग पर बोझ मत डालिए, जीवन को चलते रहने दीजिए
वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाली मान कौर (103) बताती हैं कि वह आज भी खुद जवान महसूस करती हैं, यकीनन उनकी डाइट अच्छी है, वो रोज दौड़ती हैं, समय से उठती-बैठती हैं लेकिन साथ ही एक और अहम बात है वो है उनका परिवार। परिवार उनका छोटे बच्चे की तरह ध्यान रखता है। वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं। जब तक सांस चलती रहेगी, तब उनकी वह दौड़ती रहेंगी। लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करना ही है उनके जीवन का मकसद है। खुश रहिए, दिमाग पर ज्यादा बोझ मत डालिए। जीवन को चलते रहने दीजिए।
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