डेराबस्सी तहसील क्षेत्र में अनोखा खेल! सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि रिकाॅर्ड से गायब, सिर्फ रिहायशी व कामर्शियल दामों पर रजिस्ट्री
डेराबस्सी तहसील में प्रशासन की लापरवाही से सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि रिकॉर्ड से गायब हो गई है। पांच मौजों माधोपुर, रौणी, शेखपुर खुर्द, गुलाबगढ़ और कस्बा बस्सी को शहरी सेगमेंट में रखा है। अब इनमें एग्रीकल्चर सेगमेंट पूरी तरह खत्म करते एकड़ के बजाय सिर्फ रिहायशी व कामर्शियल दामों पर रजिस्ट्री की जाएगी। इस व्यवस्था पर किसानों, प्राॅपर्टी कारोबारियों और बिल्डर्स ने सवाल उठाए हैं और तुरंत सुधार की मांग की है।

स्थानीय लोगों के अनुसार सैकड़ों एकड़ खेती योग्य भूमि को बिना किसी ग्राउंड सर्वे के ‘गायब’ घोषित कर दिया गया।
मेजर अली, डेराबस्सी। डेराबस्सी तहसील के तहत कलेक्टर रेट की सूची में इस बार इतना चौंकाने वाला बदलाव किया गया है। माल विभाग की सिफारिश पर जिला प्रशासन ने जिन पांच बड़े मौजों माधोपुर, रौणी, शेखपुर खुर्द, गुलाबगढ़ और कस्बा बस्सी को शहरी सेगमेंट में रखा है, वहां कृषि भूमि को ही रिकाॅर्ड से गायब कर दिया गया है। अब इनमें एग्रीकल्चर सेगमेंट पूरी तरह खत्म करते एकड़ के बजाय सिर्फ रिहायशी व कामर्शियल दामों पर रजिस्ट्री की जाएगी।
इससे एकड़ के कलेक्टर दाम पिछले साल की तुलना में तीन से चार गुना तक उछल गए हैं, जो मार्केट वैल्यू से भी ढाई गुना तक ज्यादा बैठते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार इन पांच मौजों में अब भी सैकड़ों एकड़ खेती योग्य भूमि मौजूद है, जिसे बिना किसी ग्राउंड सर्वे के ‘गायब’ घोषित कर दिया गया। रेट में बढ़ोतरी के कारण डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स, जमीन सौदे और किसानों की बिक्री योजनाएं अब रद होने की कगार पर हैं।
स्पष्ट जानकारी नहीं है : डीसी
डीसी मोहाली कोमल मित्तल ने कहा कि उन्हें नई सूची में कृषि दरों के हटाए जाने की स्पष्ट जानकारी नहीं है। जहां कृषि भूमि मौजूद है, वहां एग्रीकल्चर सेगमेंट खत्म नहीं किया जा सकता। मैंने मामले में तत्काल जांच करवाने के आदेश दिए हैं।
आखिर जमीन ‘गायब’ कैसे हो गई?
स्थानीय किसानों ने आरोप लगाया की जमीन तो आज भी वही है… न उसके ऊपर कोई बिल्डिंग आ गई न फसलें बंद हुईं। फिर कागजों में कैसे शहरी बन गई? गुलाबगढ़ के किसान चरण सिंह ने कहा कि हमारे पास आज भी 100 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि है। फसलें बो रहे हैं। फिर यह खेत प्रशासन को क्यों नहीं दिख रहे। वहीं, किसानों, प्राॅपर्टी कारोबारियों और बिल्डर्स ने रेट में तुरंत सुधार की मांग उठाई है। विधायक के हस्तक्षेप के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि मामला जल्द सुलझाया जाएगा। लेकिन जब तक व्यवस्था में भूमि की वास्तविकता और कागजों की हकीकत का तालमेल नहीं बैठेगा।

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