लैंड पूलिंग पॉलिसी: BJP बना रही थी विरोध का ब्लू प्रिंट, SAD भी मोर्चा खोलने को था तैयार; पहले भी कई योजनाएं ली गईं वापस
चंडीगढ़ आम आदमी पार्टी सरकार ने विवादित लैंड पूलिंग पॉलिसी को वापस ले लिया है। भाजपा और अकाली दल इस पालिसी का विरोध कर रहे थे। किसान संगठन भी लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। भाजपा ने इसे किसानों और मजदूरों की जीत बताया है। अकाली दल ने घोषणा की कि वह सरकार को जमीन हड़पने नहीं देगा और 2027 में सरकार बनने पर जमीन वापस दिलाएगा।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी की सरकार ने विवादों में फंसी लैंड पूलिंग पॉलिसी को अंतत: वापस ले लिया है। अहम बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी प्रधान अश्वनी शर्मा सोमवार को लुधियाना में पार्टी की ओर से 17 अगस्त से पूर्व घोषित ‘जमीन बचाओ, किसान बचाओ’ यात्रा निकालने की तैयारी कर रहे थे। भाजपा ने बड़े स्तर पर इस यात्रा को निकालने की योजना बनाई थी।
वहीं, शिरोमणि अकाली दल ने भी एक सितंबर से मोहाली में लैंड पूलिंग योजना के खिलाफ पक्का मोर्चा लगाने की घोषणा की थी। किसान संगठन भी लगातार इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। भाजपा के कार्यकारी प्रधान अश्वनी शर्मा ने कहा कि यह किसानों और मजदूरों की जीत है।
भाजपा शुरू से ही इस योजना का विरोध कर रही थी। इसके लिए राज्यपाल से लेकर डिप्टी कमिश्नर तक मांग पत्र सौंपे गए थे। राजनीतिक पार्टियों व किसानों संगठनों का दबाव रंग लाया और सरकार ने अब यह पालिसी वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
सोमवार को भी लैड पूलिंग पालिसी के खिलाफ पटियाला में शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल ने रैली की। सुखबीर ने घोषणा की कि अकाली दल आप सरकार को 65,000 एकड़ ज़मीन का एक इंच भी हड़पने नहीं देगा। उन्होंने दोहराया कि 2027 में अकाली दल की सरकार बनने पर अधिग्रहित ज़मीन मूल मालिकों को वापस कर दी जाएगी।
पहले भी कई योजनाओं पर लगा विराम
- सरकार बनने के बाद 28 मार्च 2022 को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घोषणा की थी कि नीले कार्ड धारक जिन्हें मुफ्त राशन मिलता हैं, को होम डिलीवरी दी जाएगी। सरकार ने यह भी फैसला किया कि गेहूं की जगह कार्ड धारकों को आटा दिया जाएगा। हालांकि हाईकोर्ट ने बाद में इस योजना पर स्टे लगा दिया था।
- सरकार ने लुधियाना में बनने वाले मत्तेवाड़ा टैक्सटाइल पार्क को बनाने का फैसला वापस ले लिया था, जबकि 30 मई 2022 को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पार्क बनाने की घोषणा की थी।
- पंजाब सरकार ने 10 अगस्त 2023 को पंचायतों को भंग कर दिया। मामला हाईकोर्ट में गया। बाद में सरकार ने अपना यह फैसला वापस लेना पड़ा था।
- लोकसभा चुनाव से पहले पंजाब सरकार ने रजिस्ट्रियों पर एनओसी की शर्त को वापस ले ली थी। बाद में हाईकोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया।
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