धनास जंगल के बीचो-बीच स्थापित है मां काली मंदिर
पुरातन समय में मंदिर जंगलों के बीच स्थापित होते थे, लेकिन समय के साथ-साथ यह माहौल बदल गया और हर गली में मंदिरों की स्थापना होने लगी।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पुरातन समय में मंदिर जंगलों के बीच स्थापित होते थे, लेकिन समय के साथ-साथ यह माहौल बदल गया और हर गली में मंदिरों की स्थापना होने लगी। शहर में एक मंदिर ऐसा भी है जो कि जंगल के बीचों-बीच बना हुआ है और यहां पर आने वाले लोगों की श्रद्धा कभी कम नहीं होती है। लोगों की श्रद्धा इतनी ज्यादा है कि मंदिर में रोजाना सुबह-शाम दर्शनों के लिए भीड़ लग जाती है। मंदिर में आने वाला हर व्यक्ति मन में सैकड़ों मुरादें लेकर आते है और पूरी होने की उम्मीद के साथ वापिस जाते है। यह मंदिर धनास के बीचो-बीच स्थापित है। शराब का भी लगता है भोग
मंदिर की एक अनोखी मान्यता है कि यहां पर माता के फूलियां-बताशे प्रसाद के साथ शराब का भी भोग लगता है। कुछ लोग तो यहां पर पूरी बोतल चढ़ा जाते है, जबकि कुछ लोगों के लिए एक बड़ा बर्तन स्थापित किया गया है। जहां पर लोग शराब को डाल जाते हैं। यह भोग भी मन्नत पूरी होने का एक साधन माना जाता है। इतिहास
मंदिर की स्थापना वर्ष 1966 में हुई थी। इस मंदिर का निर्माण किसी मद्रासी परिवार ने किया था। मान्यता है कि किसी मद्रासी को सपने में इस जगह पर माता का मंदिर दिखाई दिया था जिसके बाद यहां पर मद्रासी लोग आने लगे। पहले यहां पर टीन के शैड़ के नीचे मूर्ति रखी गई थी जो कि अब एक मंदिर का रूप ले चुकी है। यहां पर ¨हदू धर्म के लोगों के अपेक्षा मद्रासी मूल के लोगों की बहुत ज्यादा श्रद्धा है। मंदिर में माता के दर्शनों के लिए रविवार को बहुत ज्यादा भीड़ होती है। उस दिन विशेष तौर पर लंगर भी लगाया जाता है। यहां पर लोगों की कई मन्नतें पूरी होती है।
पंडित-तोता राम
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