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    Lakhimpur Kheri violence case: लखीमपुर खीरी से जुड़ी है किसानों की एक मांग, पढ़िए कैसे बना था ये मिनी पंजाब

    Updated: Mon, 12 Feb 2024 03:37 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा के किसान (Farmers Protest) दिल्ली कूच के लिए राजधानी की ओर बढ़ रहे हैं। इस बार किसानों के प्रदर्शन में कुछ अहम मांगें हैं जिनमें एक मांग लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri Violence) मामले से भी जुड़ी हुई है। आइए पढ़ते हैं लखीमपुर खीरी से जुड़ी क्या है किसानों की मांग और कैसे उत्तरप्रदेश का ये जिला कहलाता है मिनी पंजाब।

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    किसान प्रदर्शन (Farmers Protest) 2.0 में मिनी पंजाब से जुड़ी है किसानों की मांग

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा के किसानों (Farmers Protest) ने एक बार फिर दिल्ली में कूच का मन बना लिया है। किसानों के प्रदर्शन 2.0 में एमएसपी की गारंटी (Farm laws), कर्ज माफी, बंदी सिखों की रिहाई के साथ-साथ एक मामला मिनी पंजाब से भी जुड़ा हुआ है। मिनी पंजाब... उत्तरप्रदेश का एक ऐसा जिला जहां अधिकतर पंजाबी बसते हैं। ये जिला है लखीमपुर खीरी।

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    लखीमपुर खीरी से जुड़ी क्या है किसानों की मांग?

    साल 2021 की बात है जब अक्टूबर में यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का दौरा होना था। इस दौरान केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा (Ajay Mishra) के बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) उन्हें रिसीव करने के लिए जा रहे थे। कथित रूप से इस दौरान आशीष मिश्रा ने किसानों पर गाड़ी चड़ा दी थी। इस पूरे मामले में कुल चार किसानों (Lakhimpur Kheri Violence) की मौत हो गई थी, कुछ किसान घायल भी हो गए थे। इसे लेकर किसानों ने अपने प्रदर्शन में मांग की है कि लखीमपुर खीरी मामले में दोषियों को सजा दी जाए।

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक पहुंचा मामला

    ये मामला सर्वोच्च न्यायालय तक भी पहुंचा। इस मामले में आज सुनवाई के दौरान केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को राहत मिली है। अदालत ने आशीष को दी गई अंतरिम जमानत (Supreme Court Extends Interim Bail) को अगली सुनवाई तक बरकरार रखा है। इससे पहले भी 26 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आशीष की जमानत शर्तों में ढील दी थी, क्योंकि उनकी मां का इलाज चल रहा है।

    लखीमपुर खीरी कैसे बना मिनी पंजाब?

    लखीमपुर खीरी का इतिहास 1947 से जुड़ा है, जब पाकिस्तान से विस्थापित हुए सिखों को यहां जमीन देकर बसाया गया था। इससे पहले यहां की जमीन एकदम विरान पड़ी थी और बहुत कम आबादी थी। इस दौरान यहां हजारों की तादाद में सिखों को जमीन दी गई थी। इसके बाद इन सिखों के संबंधी और रिश्तेदार भी यहां चले आए। कुल मिलाकर 1960 से 1970 के दशक में यहां पंजाबी किसान आकर बसे थे।

    लखीमपुर में सिखों कितनी आबादी है?

    साल 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक, उत्तरप्रदेश में बसे सिखों की आबादी करीब 6,43,500 है, केवल लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri District) में ही बसे सिखों की बात करें तो इनकी आबादी करीब 94,388 है।

    उत्तरप्रदेश का सबसे बड़ा जिला है लखीमपुर खीरी

    अगर क्षेत्रफल की बात की जाए तो इसके हिसाब से लखीमपुर खीरी उत्तरप्रदेश के सभी जिलों में सबसे बड़ा है। 7680 वर्ग किमी के क्षेत्रफल वाला लखीमपुर खीरी लखनऊ से करीब 130 किलोमीटर की दूरी पर है।

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