अगर आपका बच्चा भी School Bus से जाता है स्कूल, तो जान लिजिए बस से जुड़े ये 7 सेफ्टी नार्म्स
School Bus Safety Norms अगर आपका बच्चा भी रोजाना स्कूल बस से स्कूल जाता है तो आपको ये जानना बेहद जरूरी है कि स्कूल बस से जुड़े सुरक्षा के नियम क्या हैं। अगर स्कूल बस में सेफ्टी नॉर्म्स को लेकर कोई कमी नजर आए तो स्कूल प्रशासन को शिकायत करें।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। बच्चे देश का भविष्य हैं। ऐसे में बच्चों को लेकर किसी तरह की लापरवाही बरतना खतरनाक साबित हो सकता है। अगर आप भी अपने जिगर के टुकड़े को स्कूल बस से स्कूल भेजते हैं तो यह जानकारी आपके लिए जरूरी है। क्योंकि हाल ही में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक निजी स्कूल बस में जा रहे एक मासूम बच्चे को अचानक उल्टी आई तो उसने अपना सिर खिड़की से बाहर निकाला। इसी दौरान अचानक बस चालक ने बस को मोड़ दिया और बच्चे का सिर सड़क किनारे लगे एक खंभे से जा टकराया। इस हादसे में बच्चे की मौत हो गई। ऐसे में अब लोगों को स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा की चिंता सताने लगी है।
बता दें कि चंडीगढ़ में 80 प्राइवेट और पांच से आठ सरकारी स्कूलों की बसें चलती हैं। इन बसों को प्राइवेट बस आपरेटर द्वारा आपरेट किया जाता है। बसों का किराया बस आपरेटर तय करते हैं जो कि अभिभावक स्कूल में फीस के साथ जमा करवाते हैं। बस आपरेटर स्टूडेंट्स काे घर के नजदीकी स्टेशन से उठाकर स्कूल और स्कूल से वापस घर तक लाने का काम करते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आपका बच्चा जिस स्कूल में आता और जाता है उसमें सुरक्षा के जरूरी मानक हैं भी या नहीं।
चंडीगढ़ में चलने वाली स्कूल बसों के लिए प्रशासन की तरफ से सात मानक तय किए हैं। जिनका पालन करना सभी बस आपरेटर्स के लिए जरूरी है। यदि कोई बस आपरेटर नियमों का पालन नहीं करता तो प्रशासन की स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (एसटीए) और चंडीगढ़ कमीशन फार प्रोटेक्शन आफ चाइल्ड राइट्स (सीसीपीसीआर) की टीमें चेकिंग करती हैं तो बसों में नार्म्स का उल्लंघन होने पर चालान काटने से लेकर बसों को इंपाउंड भी किया जाता है। स्कूल बसों की चेकिंग वर्ष में दो से तीन बार की जाती है।
स्कूल बस में इन नियमों का पालन होना अनिवार्य
- सबसे पहली बात स्कूल बस का रंग पीला होना चाहिए, जिससे दूसरे वाहन चालकों को स्कूल बस की जानकारी होती है। स्कूल बस की स्पीड 50 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
- स्कूल बस में जीपीएस सिस्टम होना जरूरी है, ताकि अभिभावकों को बच्चों की लोकेशन की पूरी और सही जानकारी हर मिनट मिल सके।
- स्कूल बस में लगा स्पीड मीटर हर छह महीने में अपडेट होना चाहिए, इसी के साथ स्कूल बस का परमिट होना अनिवार्य है।
- बस में ड्राइवर के साथ कंडक्टर और एक महिला अटेंडड होनी अनिवार्य है, जो कि बच्चों स्कूल बस में चढ़ाएगी और उतारेगी भी। इसके साथ बस में बच्चों की देखभाल भी करेगी।
- स्कूल बस की खिड़कियों पर 3 सेफ्टी ग्रिल लगी होनी चाहिए और उन ग्रिल की आपस की दूरी पांच से सात इंच होनी चाहिए है।
- बस ड्राइवर के पास फिटनेस सर्टिफिकेट होना चाहिए जिसमें आंखों की फिटनेस अति अनिवार्य है। फिटनेस सर्टिफिकेट एक वर्ष से पुराना नहीं होना चाहिए।
- ड्राइवर सीट के साथ बाएं तरफ शीशा लगा होने जरूरी है। ताकि चालक बस के साथ बस के पीछे पांच मीटर की दूरी तक आते हुए वाहन देख सके।
खरड़ में हुआ था हादसा
ट्राईसिटी में आज से पहले स्कूल बस हादसा दो मार्च 2020 को मोहाली के खरड़ के नजदीक गांव मछली कलां में हुआ था। स्कूल बस ओवर स्पीड थी, जिस कारण बस सड़क उतरकर खेतों में जा गिरी। उस समय स्कूल बस में आठ बच्चे सवार थे। खेतों में बस गिरने के चलते बच्चों को मामूली चोट आई थीं।
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