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    Kashvee Gautam: लड़कों के साथ खेलते -खेलते बनी क्रिकेट स्टार, जानिए WPL की सबसे महंगी भारतीय अनकैप्ड खिलाड़ी की कहानी

    By Jagran NewsEdited By: Himani Sharma
    Updated: Sun, 10 Dec 2023 09:44 AM (IST)

    Kashvee Gautam यूटी क्रिकेट एसोसिएशन (यूटीसीए) अंडर -23 महिला टीम की कप्तान काशवी गौतम महिला प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) में गुजरात जायंट्स की तरफ से खेलेंगी। काशवी का बेस प्राइस सिर्फ 10 लाख रुपये थे बावजूद इसके उन्हें उनके बेस प्राइस से 20 गुणा ज्यादा कीमत पर गुजरात जायंट्स ने दो करोड़ रुपये की बोली लगाकर अपने खेमे में शामिल किया।

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    काशवी लड़कों के साथ खेलते -खेलते बनी क्रिकेट स्टार

    विकास शर्मा, चंडीगढ़। गली में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने वाली काशवी गौतम (Kashvee Gautam) आज क्रिकेट जगत की उभरती हुई सितारा है। यूटी क्रिकेट एसोसिएशन में बतौर आलराउंडर खेलने वाली काशवी गौतम के पिता सुदेश शर्मा बताते हैं कि काशवी को क्रिकेटर बनाने की उनकी कोई योजना नहीं थी।

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    घर के बाहर गली में बच्चे क्रिकेट खेलते थे, उन्हीं के साथ काशवी भी खेलती थी। उन्हीं के साथ खेलते धीरे -धीरे काशवी की खेल में रूचि बनी और वह उन्हीं लड़कों की टीम में उनके साथ खेलने लगी।

    बेटी की रूचि को देखते हुए मैंने सेक्टर-26 क्रिकेट अकादमी में उसे कोच नागेश गुप्ता के पास भेजना शुरू कर दिया। लड़कियों के ज्यादा मैच नहीं होने की वजह से कोच नागेश गुप्ता ने भी काशवी के खेल को निखारने के लिए कई स्थानीय स्तर के टूर्नामेंट में उसे लड़कों की टीम में शामिल किया। काशवी तब भी लड़कों से बेहतर प्रदर्शन करती थी।

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    कोचिंग में न पड़े खलल इसलिए ढकोली में किया घर शिफ्ट

    काशवी के पिता सुदेश शर्मा बताते हैं कि काशवी खेल के प्रति जुनूनी हैं। काशवी को क्रिकेट खेलना इतना ज्यादा पसंद है कि आज भी कहीं छोटे-छोटे बच्चे ही क्रिकेट खेल रहे हों तो काशवी उनके साथ ही घंटों क्रिकेट खेलती रहती है। कोच नागेश ने जब पीरमुच्छला में कोचिंग देना शुरू किया तो काशवी को सेक्टर -37 से पीरमुच्छला आने जाने में खासी दिक्कत होती थी। इसलिए मैंने ढकोली की ग्रीन वैली टावर में शिफ्ट कर लिया, ताकि उसके अभ्यास में कोई खलल न पड़े।

    काशवी ने 14 साल की उम्र से किया था खेलना शुरू

    कोच नागेश गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2016 में काशवी उनके पास क्रिकेट सीखने के लिए आई थी। उस समय उसकी उम्र 14 साल की थी। वैसे तो हर क्रिकेटर शुरुआत में बल्लेबाज ही बनना चाहता है लेकिन कोच ही उसकी खूबी को पहचानता है। काशवी की गेंदबाजी में मैंने शुरू से ही स्विंग देखी। फिर उसकी गेंदबाजी में स्टीकता और स्पीड पर काम किया, इसके साथ काशवी को बतौर आलराउंडर बनाने के लिए उसकी बल्लेबाजी पर भी मेहनत की।

    काशवी बेहद मेहनती हैं और उसे कोई भी बात बार बार नहीं समझानी पड़ती है। नतीजा यह है कि काशवी मैदान में टीम की जरूरत के हिसाब से अपना बेहतर प्रदर्शन कर रही है। सीनियर स्टेट, नोर्थ जोन और इंडिया ए के लिए काशवी काफी बेहतर प्रदर्शन किया, दूसरा वह आलराउंडर हैं इसीलिए गुजरात जायंट्स ने उस पर भरोसा जताया है।

    काशवी ने हर मौके पर किया खुद को साबित

    यूटी क्रिकेट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट संजय टंडन ने बताया कि बीसीसीआइ टूर्नामेंट में खेलने वाले सभी खिलाड़ी तकनीकी रूप से एक जैसे होते हैं। बावजूद इसके कुछ खिलाड़ी बड़े मौके पर बेहतर जिम्मेदारी के साथ खुद को साबित करते हैं।

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    काशवी ने हर मुकाबले में खुद को साबित किया है। इसी वजह से आज उसने यह मुकाम हासिल किया है। उन्होंने इस मौके पर टंडन ने बीसीसीआइ का भी धन्यवाद किया, उन्होंने कहा कि अगर बीसीसीआइ ने यूटीसीए को मान्यता नहीं दी होती तो ऐसी प्रतिभाएं गली में ही क्रिकेट खेलने तक सीमित रह जाती।