'एडवोकेट सलवान ने मेरा सर्विस केस लड़ा था, बस इतनी ही पहचान...इस बयान पर 30 लाख रिश्वत केस में जज को क्लीन चिट
30 लाख रुपये की रिश्वत के आरोप में बठिंडा के जज को क्लीन चिट मिल गई। उन्होंने बताया कि एडवोकेट जतिन सलवान ने उनका सर्विस केस लड़ा था और उनकी बस इतनी ही पहचान थी। जांच में जज का बयान सही पाया गया, जिसके बाद उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया। दहेज के केस में जज के नाम 30 लाख रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में एडवोकेट और बिचौलिया जेल में सजा काट रहे हैं।

सीबीआई की चार्जशीट में बठिंडा में तैनात जज गुरकिरपाल सिंह सेखों को क्लीन चिट मिली है।
रवि अटवाल, चंडीगढ़। दहेज केस में 30 लाख रुपये रिश्वत के मामले में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में बठिंडा में तैनात सिविल जज (सीनियर डिवीजन) गुरकिरपाल सिंह सेखों को क्लीन चिट दे दी है। सीबीआई की जांच में सामने आया कि इस मामले में जज की कोई भूमिका नहीं थी। दो महीने पहले सीबीआई ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के नामी वकील जतिन सलवान को जज के नाम पर 30 लाख रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में पकड़ा था। हाईकोर्ट के आदेश पर जज से भी पूछताछ की गई थी। उन्होंने सीबीआई को बताया था कि उनकी जतिन सलवान से केवल उनके एक पुराने सर्विस मैटर के संबंध में जान पहचान थी।
जज ने सीबीआई को बताया कि वह 2001 में बतौर सिविल जज भर्ती हुए थे, लेकिन तब पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन स्कैम के कारण 1998 से 2001 के बीच भर्ती हुए जजों को टर्मिनेट कर दिया गया था। उन्होंने टर्मिनेशन ऑर्डर के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में केस दायर कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश पर उन्हें वापस नौकरी पर रख लिया गया था।
जज ने बताया कि तब उनके व कुछ अन्य जजों की तरफ से हाईकोर्ट में एडवोकेट सलवान ने केस लड़ा था। बस, उनकी उनसे इतनी ही पहचान थी। कभी किसी केस को लेकर उनकी सलवान से बात नहीं हुई थी। इस आधार पर सीबीआई ने जज सेखों को क्लीन चिट देकर एडवोेकेट जतिन सलवान और बिचौलिये के खिलाफ जिला अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी।
सलवान ने जज को लैंडलाइन से दो बार की थी काॅल
जज ने सीबीआई को बताया कि 13 अगस्त को एडवोकेट सलवान ने अपने लैंडलाइन नंबर से उन्हें दो बार काल की थी। उन्होंने जब वापस काल की तो जतिन सलवान ने उनसे केवल उनके पिता का हालचाल ही पूछा। जज ने बताया कि उनके पिता का एक्सीडेंट हुआ था, बस सलवान ने उसी बारे में उनसे बातचीत की थी। उन्हें नहीं पता था कि उनके नाम पर रिश्वत मांगी जा रही थी।
सलवान ने जज से पहचान दिखाने की कोशिश की
सीबीआई के मुताबिक सलवान ने शिकायतकर्ता के सामने यह दिखाने की कोशिश की थी कि उनकी सेखों समेत कई जजों से जान-पहचान है। हालांकि सीबीआई की जांच में सामने आया कि इस पूरे प्रकरण में किसी भी ज्यूडिशियल ऑफिसर की भूमिका नहीं थी। आरोपित ने केवल रिश्वत मांगने के इरादे से जज के नाम का इस्तेमाल किया था। पूछताछ में पता चला कि जजों को इस बारे में जानकारी ही नहीं थी। इतना ही नहीं, शिकायतकर्ता की बहन का तलाक से संबंधित केस तो जज सेखों की कोर्ट में भी नहीं था। वह केस तो स्पेशल फैमिली कोर्ट में था।
तलाक के केस में मांगी गई थी रिश्वत
सीबीआई ने जतिन सलवान और सतनाम को 14 अगस्त को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि वह तलाक के एक मामले में किसी महिला के हक में फैसला करवाने का दावा कर रहे थे। उन्होंने महिला के भाई से जज के नाम पर 30 लाख रुपये रिश्वत मांगी थी। महिला के भाई फिरोजपुर निवासी हरसिमरनजीत सिंह ने सीबीआई को दी शिकायत में बताया था कि उनकी बहन का बठिंडा की कोर्ट में तलाक का केस चल रहा है।
इस संबंध में उनकी मुलाकात सेक्टर-15 निवासी एडवोकेट जतिन सलवान से हुई। सलवान ने कहा कि उनकी बठिंडा के कुछ जजों के साथ अच्छी जान पहचान है। ऐसे में वह उनके हक में फैसला करवा सकता है। इसके लिए उन्होंने 30 लाख रुपये रिश्वत मांगी। ईधर हरसिमरनजीत ने इस बारे मेें सीबीआई का सूचना दे दी। सीबीआई ने फिर ट्रैप लगाकर आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया।
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