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    जतिंदर सिंह शंटी पंजाब मानवाधिकार आयोग में शामिल, 70000 से ज्यादा अंतिम संस्कार करवाने का रिकॉर्ड उनके नाम

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 04:17 PM (IST)

    पंजाब सरकार ने जतिंदर सिंह शंटी को मानवाधिकार आयोग का सदस्य नियुक्त किया है। शंटी, जो पद्म श्री से सम्मानित हैं, लावारिस शवों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 70,000 से अधिक लोगों का अंतिम संस्कार किया है और 100 से अधिक बार रक्तदान किया है। उनकी नियुक्ति से पंजाब में मानवाधिकार ढांचा मजबूत होगा।

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    पद्म श्री जतिंदर सिंह शंटी पंजाब मानवाधिकार आयोग के नए सदस्य नियुक्त

    डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक और पद्म श्री से सम्मानित जतिंदर सिंह शंटी को पंजाब मानवाधिकार आयोग का नया मैंबर नियुक्त किया है।

    जतिंदर सिंह शंटी अपने मानवतावादी कार्यों के लिए व्यापक रूप से सम्मानित हैं। वे विशेष रूप से लावारिस लाशों का पूरे सम्मान और हमदर्दी के साथ अंतिम संस्कार करने के लिए जाने जाते हैं। समाज सेवा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए, साल 2021 में भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया था। उन्होंने 100 से ज्यादा बार रक्तदान किया है और उनकी सेवाओं पर "एंजल्स फॉर द डेड" नाम की एक डॉक्यूमेंट्री भी बनी है।

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    पिछले 25 सालों से भी ज्यादा समय से शंटी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मृतकों के मानवाधिकारों की रक्षा करने वाले एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में माना जाता है। 'जीवन के अधिकार' की तरह ही मृत्यु के बाद सम्मान पाना भी एक अधिकार है, जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। अपने एनजीओ के जरिए वे लावारिस और कमजोर वर्ग के लोगों के लिए अंतिम संस्कार की सेवाएं, शव वाहन, शवों को सुरक्षित रखने के लिए मोबाइल मोर्चरी और गंगा में अस्थि विसर्जन जैसी सुविधाएं मुहैया करवाते हैं। उन्होंने अब तक 70,000 से ज्यादा लोगों का सम्मानजनक अंतिम संस्कार करवाया है, जिसमें कोरोना महामारी के दौरान जान गंवाने वाले 4,200 से ज्यादा लोग भी शामिल हैं।

    जतिंदर सिंह शंटी ने सिर्फ मृतकों के लिए ही नहीं, बल्कि मरीजों के अधिकारों की रक्षा भी की है। वे मुफ्त एंबुलेंस सेवा, बचाव कार्य और आपातकालीन मदद पहुंचाते हैं। उन्होंने कई ऐसे मामलों में निजी अस्पतालों का कड़ा विरोध किया है, जिन्होंने बिल न चुकाने पर मरीजों या शवों को गैर-कानूनी तरीके से रोक लिया था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कोर ग्रुप मेंबर के तौर पर उन्होंने पूरे भारत में लावारिस लाशों के मुफ्त संस्कार की वकालत की और आतंकवाद विरोधी मानवाधिकार प्रतिक्रिया यूनिट बनाने का प्रस्ताव भी रखा।

    इसके अलावा, गुजरात भूकंप, 2004 की सुनामी, नेपाल भूकंप और चेन्नई व केरल की बाढ़ जैसी कई आपदाओं के दौरान जतिंदर सिंह शंटी ने आगे बढ़कर राहत कार्य किए। उन्होंने वहां मेडिकल सहायता और बचाव सेवाएं दीं, साथ ही मृतकों के शवों का सम्मानजनक प्रबंधन सुनिश्चित किया।

    106 बार रक्तदान करके एक विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले शंटी ने 200 से ज्यादा रक्तदान शिविर आयोजित किए हैं। मानवता के प्रति उनकी जीवन भर की सेवा के लिए उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है। पंजाब मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन के रूप में उनकी यह नियुक्ति पंजाब के लिए एक संवेदनशील और मजबूत मानवाधिकार ढांचा तैयार करने की दिशा में एक अहम कदम है।