'125 दिन भूखा रहना असंभव', डल्लेवाल के अनशन पर उठने लगे सवाल; किसान नेताओं ने हेरफेर के लगाए गंभीर आरोप
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में दान को लेकर विवाद के बाद अब डल्लेवाल के 125 दिनों के अनशन पर सवाल उठ रहे हैं। किसान नेता इंद्रजीत सिंह कोटबुढ्ढा ने लंगर की रसद बेचने और उगाही के पैसे का हिसाब न देने का आरोप लगाया है। जंगवीर सिंह चौहान ने डल्लेवाल के इतने दिनों तक भूखे रहने पर संदेह जताया है जिससे किसान समुदाय में खलबली मची है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। तीन खेती कानूनों को लेकर एक साल से ज्यादा समय तक चले आंदोलन में देश-विदेश से आए डोनेशन गर्मागर्मी का माहौल है। किसान संगठनों में उठे मतभेद के बाद अब न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को लेकर शंभू और खन्नौरी में चले आंदोलन में भी उसी तरह के आरोपाें का दोहराव हो रहा है।
बड़ी बात यह है कि लंगर की रसद को बेचने और लोगों से की गई उगाही के पैसे का हिसाब न मिलने जैसे आरोप बाहर से नहीं लग रहे बल्कि भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के नेता ही आपस में लगा रहे हैं, जिनके प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल 125 दिनों से ज्यादा अनशन पर बैठे रहे। यहां तक कि उनके अनशन पर बैठने पर भी किसान नेता ने सवाल उठाए हैं।
जल्द होगी रिव्यू मीटिंग- डल्लेवाल
हालांकि, इन आरोपों को डल्लेवाल ने भी खुलकर जवाब दिया है और कहा कि आंदोलन को लेकर रिव्यू बैठक जल्द ही की जा रही है, जिसमें इस तरह के आरोपों को लेकर भी चर्चा की जाएगी।
काबिले गौर है कि भाकियू सिद्धूपुर के नेता इन्द्रजीत सिंह कोटबुढ्ढा ने आरोप लगाए हैं कि आंदोलन को चलाने के लिए जितने पैसे की उगाही हुई है उसका कोई हिसाब नहीं दिया जा रहा है। जितना पैसा एकत्रित हुआ है , उतना पैसा तो किसानों का कर्ज उतारने में खर्च किया जाता तो किसानों का कर्ज उतर सकता था।
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि लंगर चलाने के लिए जो भी रसद किसानों को मिलतीरही है वह भी बेची जाती रही है चाहे वह दूध हो या गेहूं। इन आरोपों को लेकर जवाबदेही तय होनी चाहिए।
किसान नेताओं ने अनशन पर उठाए सवाल
एसकेएम के ही एक अन्य नेता जंगवीर सिंह चौहान ने तो जगजीत सिंह डल्लेवाल के 125 दिनाें तक बिना कुछ खाए पीए रहने को लेकर ही सवाल उठा दिए हैं। उनका कहना है कि इतने दिनों तक भूखे रहने से विज्ञान भी हैरान है।
जगजीत सिंह डल्लेवाल ने इन्द्रजीत सिंह कोटबुढ्ढा और जंगवीर सिंह चौहान के आरोपों का जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि चार मई को होने वाली बैठक में इन्हें न ले जाने के कारण ये नाराज हैं। उन्होंने बताया कि संगठन की ओर से सीनियर नेताओं को रोटेशन में ले जाया जाता है।
उन्होंने कहा कि एक सुई की नोक के बराबर भी गड़बड़ी नहीं हुई है। ये सब छोटी-छोटी बातें हैं हम रिव्यू बैठक में इन पर चर्चा करेंगे।
लंगर की रसद को बेचने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कई बार जरूरत से ज्यादा गेहूं या दूध आ जाने पर उसे देकर लंगर के लिए ही जरूरत का अन्य सामान जिसमें आलू, प्याज, सब्जियां , मूंग की दाल आदि ली जाती रही है। अनशन पर उठे सवालों पर उन्होंने कहा कि डाक्टरों की टेस्ट रिपोर्ट वहां मौजूद हैं उन्हें देखा जा सकता है।
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