पंचकूला में आइटीबीपी जवानों की दी जा रही कड़ी ट्रेनिंग, तस्वीरों में देखें कैसे बनते हैं सैनिक
प्राथमिक प्रशिक्षण केंद्र भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल भानू पंचकूला में भारत-चीन सीमा की सुरक्षा के लिए तैयार होने वाले सिपाही महिला एवं पुरुष की कठोर ट् ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पंचकूला। देश की सीमाओं की सुरक्षा हमारे सेना के जवान करते हैं। कैसी भी परिस्थिति हो इसके लिए जवान हमेशा तैयार रहते हैं। जवानों को शुरुआत में कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा है। उन्हें शारीरिक और मानसिक तौर पर सभी तरह से मजबूत किया जाता है। उनका कठोर प्रशिक्षण ही उन्हें देश की सीमाओं में दुश्मनों से निपटने के लिए मजबूत बनाता है। सैनिकों को कड़ी ट्रेनिंग का ऐसा ही नजारा पंचकूला में देखने को मिल रहा है।
प्राथमिक प्रशिक्षण केंद्र भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल भानू पंचकूला में भारत-चीन सीमा की सुरक्षा के लिए तैयार होने वाले सिपाही महिला एवं पुरुष की कठोर ट्रेनिंग चल रही है। प्राथमिक प्रशिक्षण केंद्र महानिरीक्षक ईश्वर सिंह दूहन के नेतृत्व में 1167 जवानों को ट्रेनिंग देकर हर चुनौती के लिए तैयार किया जा रहा है। इनमें से 433 महिला रंगरूट भी शामिल हैं।
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यहां जवानों को हर तरह हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
476वें जीडी बैच की 44 सप्ताह की बेसिक ट्रेनिंग लगभग अंतिम चरण में है। मार्च में 526 प्रशिक्षुओं का बैच कठोर प्रशिक्षण के बाद पास आउट होने जा रहा है। इसमें 174 पुरुष और 352 महिला प्रशिक्षु शपथ समारोह में शामिल होंगे। इनके 44 सप्ताह की कड़ी ट्रेनिंग के दौरान इन रंगरूटों को शारीरिक प्रशिक्षण, हथियारों, फायरिंग एवं ड्रिल के अलावा शारीरिक एवं मानसिक रूप से सक्षम बनाया जाता है। इसी प्रशिक्षण के अंतिम चरण में प्रशिक्षणार्थियों को बैटल इनोक्यूलेशन का अभ्यास करवाया जाता है। इसका मुख्य उद्देशय प्रत्येक सैनिक को युद्व में तैनात होने की तैयारी के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित किया जाता है।
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352 सिपाही/महिला प्रशिक्षुओं को बैटल इनोक्यूलेशन का अभ्यास करवाया जा रहा है।
ईश्वर सिंह दूहन ने बताया कि रिकरूटों को बैटल इनोक्यूलेशन की ट्रेनिंग दी गई। इस प्रक्रिया में सिखाया जाता है कि युद्ध के दौरान कैसी प्रतिक्रिया करें और तनाव से कैसे निपटे ताकि भविष्य की परिस्थितियों से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सके। विशेष रूप से प्रशिक्षण, युद्व की वास्तविक स्थितियों को पुर्ननिर्मित किया जाता है। जैसे- वास्तविक हथियारों से फायर और वास्तविक युद्ध की परिस्थितयों का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि युद्ध की स्थिति को वास्तविक रूप में समझा जा सके। 352 सिपाही/महिला प्रशिक्षुओं को बैटल इनोक्यूलेशन का अभ्यास करवाया गया, ताकि महिला सैनिक मानसिक एवं शारीरिक रूप से सक्षम हो सकें। इस अवसर पर उपमहानिरीक्षक राजेश शर्मा तथा सेनानी विक्रांत थपलियाल भी मौजूद थे।

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