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    पंजाब में पुरानी पेंशन योजना लागू करना आसान नहीं, पीएफआरडीए के पास जमा राशि वापस लेने में कानूनी अड़चन

    By Inderpreet Singh Edited By: Kamlesh Bhatt
    Updated: Fri, 18 Nov 2022 09:57 AM (IST)

    पंजाब सरकार ने पुरानी पेंशन योजना (old pension scheme) को लागू करने की घोषणा तो कर दी है लेकिन इसमें सबसे बड़ी अड़चन पीएफआरडीए के जमा राशि वापस लेना है। छत्तीसगढ़ राजस्थान को पीएफआरडीए से पैसा नहीं मिला है।

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    पुरानी पेंशन स्कीम में कानूनी अड़चन। सांकेतिक फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करना आप सरकार के लिए आसान नहीं है। पंजाब की तरह छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकारों ने भी पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की घोषणा की थी, लेकिन जब पेंशन फंड एंड रेगुलेटरी अथारिटी (पीएफआरडीए) ने योजना के बीच में ही पैसा देने से मना कर दिया तो यह अधर में लटक गई।

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    पंजाब सरकार ने भी दो महीने पहले यह जानते हुए भी कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकारों को इसकी मंजूरी नहीं मिली है, कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की घोषणा कर दी। हालांकि राज्य के मुख्य सचिव वीके जंजुआ का कहना है कि सरकार कानूनी राह तलाश कर रही है ताकि जब हम इस योजना को लागू करें तो कोई कानूनी अड़चन न आए।

    दरअसल, दो महीने पहले मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक ट्वीट करते हुए 2004 से बंद पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का निर्णय किया और मुख्य सचिव वीके जंजुआ से इसके वित्तीय भार का अध्ययन करने के लिए कहा था। 2004 से लेकर 2022 तक कर्मचारियों ने नई पेंशन योजना में अपने हिस्से का दस प्रतिशत और सरकार के हिस्से का 14 फीसदी मिलाकर पीएफआरडीए के पास जो राशि जमा करवाई है, वह इस समय 18 हजार करोड़ रुपये की हो गई है।

    यदि सरकार को पुरानी पेंशन योजना को लागू करना है और अपने खजाने से रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को पेंशन देनी है तो उसे इस 18 हजार करोड़ रुपये की राशि की दरकार होगी। एक वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट का कहना है कि जब नई पेंशन योजना को लागू करने के लिए एक्ट लाया गया था तो उसमें साफ कहा गया था कि यह पैसा बीच में वापस नहीं किया जाएगा। यही सबसे बड़ी कानूनी अड़चन है, इसीलिए पीएफआरडीए ने छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकार को यह पैसा लौटाने में अपनी असमर्थता जता दी है।

    छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों ने 17240 करोड़ रुपये की राशि जमा करवाई है, जिसे पीआरडीएफए ने लौटाने से मना कर दिया है। इसको लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी पत्र लिखा है। हालांकि सरकार ने कर्मचारियों से दस प्रतिशत अंशदान लेना एक मई से बंद कर दिया है।

    सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकारें भी इसके कानूनी हल तलाश रही हैं। इसी तर्ज पर पंजाब सरकार ने भी इस ओर देखना शुरू कर दिया है। मुख्य सचिव वीके जंजुआ का कहना है कि एक दो दिन की प्रतीक्षा करें। हमें उम्मीद है कि इसका हल मिल जाएगा।

    एक पूर्व वित्त सचिव का कहना है कि कई सालों से कर्मचारियों के सेलरी और पेंशन के बिल को कम करने पर काम हो रहा है, जिसमें पुरानी पेंशन योजना को बंद करना शामिल था। इसका लाभ सरकार को 2033 के बाद से मिलना शुरू होने वाला था, लेकिन अब अगर सरकार ने इसे लागू कर दिया तो यह पेंशन देनी ही मुश्किल हो जाएगी।

    अंशदान चाहे वह कर्मचारी का हो या सरकार का, वह एक फंड में जमा करवाया जा रहा है। ज्यादातर ब्यूरोक्रेट्स को यह राजनीतिक निर्णय लगता है क्योंकि इसका आप सरकार पर कोई बोझ नहीं है। पुरानी पेंशन कर्मचारियों को 2033 के बाद से मिलनी शुरू होनी है।