IPS Puran Kumar: परिवार नहीं देता पोस्टमार्टम की मंजूरी तो जांच टीम के पास क्या है ऑप्शन, पढ़ें क्या कहता है कानून
किसी भी मामले में, खासकर संदिग्ध मौत में, पोस्टमार्टम महत्वपूर्ण है। अगर परिवार मंजूरी नहीं देता, तो जांच टीम सीआरपीसी की धारा 174 और 175 के तहत पोस्टमार्टम करा सकती है या मजिस्ट्रेट से आदेश ले सकती है। जांच टीम के लिए घटनास्थल के सबूतों का विश्लेषण जरूरी है।

आईपीएस पूरन कुमार के सुसाइड मामले का आज सातवां दिन है (File Photo)
डिजिटल डेस्क, पंचकूला। आईपीएस पूरन कुमार के सुसाइड मामले का आज सातवां दिन है। लेकिन अभी तक अधिकारी को पोस्टमार्टम नहीं हुआ है। परिजनों की मांग है कि सुसाइड नोट में शामिल अधिकारियों को गिरफ्तार किया जाए। कई दिग्गज नेताओं द्वारा आग्रह करने पर भी परिवार राजी नहीं हुआ है। वहीं, जांच टीम इस बीच अधर में फंसी है, क्योंकि अगर जांच टीम के पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं होगी तो आगे की जांच करना मुश्किल है।
रिपोर्ट मिलने के बाद विशेष जांच दल (एसआईटी) अगले कदम तय करने के लिए फोरेंसिक और तकनीकी निष्कर्षों का मिलान करेगा। कानूनी प्रावधानों के अनुसार, यदि मृतक का परिवार पोस्टमॉर्टम के लिए सहमति नहीं देता है तो पुलिस को महत्वपूर्ण साक्ष्यों को सुरक्षित रखने के लिए मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में यह प्रक्रिया करने का अधिकार है।
बैलिस्टिक जांच करवाई जा सकती है
सूत्रों ने बताया कि यदि परिवार सहमत होता है, तो पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के डॉक्टरों की एक टीम द्वारा एक बैलिस्टिक विशेषज्ञ, एक मजिस्ट्रेट और परिवार के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में पोस्टमॉर्टम किया जाएगा। जिसकी मांग परिवार ने भी की है।
बैलिस्टिक जांच यह निर्धारित करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि घटनास्थल से बरामद गोली और कारतूस आईपीएस अधिकारी द्वारा इस्तेमाल किए गए एक ही हथियार से चलाए गए थे या नहीं। हालांकि, घटना को छह दिन से अधिक समय बीत चुका है, और शव सड़ने लगा है, जिससे विशेषज्ञों का कहना है कि बारूद के अवशेष जैसे महत्वपूर्ण फोरेंसिक नमूने प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
शव और कपड़ों पर बारूद के निशान फायरिंग रेंज और मौत के तरीके की पुष्टि के लिए महत्वपूर्ण हैं। पोस्टमॉर्टम में देरी से इन सबूतों को इकट्ठा करना लगभग असंभव हो सकता है।
कॉल डिटेल रिकॉर्ड आदि जुटाए गए
इस बीच, चंडीगढ़ पुलिस ने कथित तौर पर कॉल डिटेल रिकॉर्ड से महत्वपूर्ण सुराग जुटाए हैं। सूत्रों ने बताया कि यह कदम उठाने से पहले, वाई. पूरन कुमार ने वरिष्ठ अधिकारियों, अपने वकील और कुछ परिचितों को कई बार फोन किया था। एसआईटी द्वारा इन लोगों से पूछताछ करने की उम्मीद है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या इन बातचीत के दौरान किसी दबाव, संघर्ष या तनाव ने कुमार के आत्महत्या के फैसले को प्रभावित किया होगा।
(समाचार एजेंसी एएनआई के साथ)
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