IPS पूरन सुसाइड केस की जांच पर उठे सवाल, प्रताड़ना के आरोपों में बड़े अधिकारियों से एक माह में पूछताछ तक नहीं
हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या मामले की जांच धीमी गति से चल रही है। एक महीने बाद भी एसआईटी ने प्रताड़ना के आरोपों वाले अधिकारियों से पूछताछ शुरू नहीं की है। जांच गनमैन पर केंद्रित है और एसआईटी ने कुछ कर्मचारियों के बयान लिए हैं। पूरन कुमार ने सुसाइड नोट में बड़े अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था।

सात अक्टूबर को आईपीएस पूरन कुमार ने आत्महत्या कर ली थी। यह तस्वीर उसी समय की है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार आत्महत्या मामले की जांच पर एक बार फिर से सवाल उठे हैं। चंडीगढ़ पुलिस की जांच धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रही है। घटना को एक महीना बीत चुका है, लेकिन अभी तक एसआईटी ने उन वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ शुरू नहीं की है, जिनके नाम पूरन कुमार ने अपने फाइनल नोट में प्रताड़ना के आरोपों के साथ लिखे थे।
जांच टीम फिलहाल गनमैन सुशील कुमार पर दर्ज एफआईआर से ही जांच आगे बढ़ा रही है। इसी को लेकर एसआईटी अब तक इस मामले से जुड़े 12 लोगों से बयान दर्ज किए हैं, जिनमें अधिकतर कम रैंक कर्मचारी शामिल हैं।
एसआईटी ने हरियाणा सरकार से कुछ अहम दस्तावेज मांगे हैं, जिनके उपलब्ध होने का इंतजार किया जा रहा है। सात अक्टूबर की दोपहर आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार ने चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित सरकारी आवास में अपने गनमैन की सर्विस रिवाॅल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और फोरेंसिक टीमें मौके पर पहुंचीं और जांच शुरू की। मौके से मिले फाइनल नोट में 15 अधिकारियों के नाम लिखे थे, जिन पर उन्होंने मानसिक प्रताड़ना और दबाव डालने के आरोप लगाए थे।

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