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    अल्जाइमर के इलाज में भारतीय वैज्ञानिकों को मिली सफलता, ग्रीन टी की मदद से विकसित की गई नई पद्धति

    By SUMESH KUMARIEdited By: Nitish Kumar Kushwaha
    Updated: Wed, 17 Dec 2025 04:59 PM (IST)

    भारतीय विज्ञानियों को अल्जाइमर के इलाज में बड़ी सफलता मिली है। मोहाली के इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलाजी के शोधकर्ताओं ने नैनोपार्टिकल आधारित ...और पढ़ें

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    मोहाली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलाजी (आईएनएसटी) के शोधकर्ताओं ने ढूंढी उपचार की नई पद्धति।

    सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। अल्जाइमर इलाज की दिशा में भारतीय विज्ञानियों को बड़ी सफलता मिली है। इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलाजी (आईएनएसटी) मोहाली के शोधकर्ताओं ने नैनोपार्टिकल आधारित एक नया बहु-कार्यात्मक उपचार पद्धति विकसित की है, जो अल्जाइमर जैसी जटिल बीमारी से एक साथ कई स्तर पर लड़ने में सक्षम है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसे दुनिया में बड़ी उपलब्धि बताया है।

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    शोध की पद्धति आईएनएसटी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जीवन ज्योति पांडा ने टीम के साथ तैयार की है, जबकि इसका सफल प्री क्लीनिकल ट्रायल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्टूिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (नाइपर) रायबरेली के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार देतुसेलिया ने किया है।

    अब तक अल्जाइमर के पारंपरिक उपचार बीमारी की केवल एक समस्या, जैसे एमिलाइड जमाव या आक्सीडेटिव तनाव, पर ही केंद्रित रहते थे जिससे बेहतर और पूरा इलाज मिलना असंभव था। अब तक इस्तेमाल होने वाली तकनीक से मरीजों को सीमित लाभ मिल पाता था, लेकिन आइएनएसटी के विज्ञानियों द्वारा विकसित नई तकनीक एक साथ चार प्रमुख रोग प्रक्रियाओं पर काम करती है जिससे उपचार को अधिक प्रभावी बनाने की उम्मीद जगी है।

    ग्रीन टी के अमीनो एसिड के साथ तीन प्रोटीन मिलाकर तैयार हुआ है नैनो पार्टिकल

    नई थेरेपी नैनोपार्टिकल्स पर आधारित है। इसमें ग्रीन टी में पाया जाने वाला एंटीआक्सिडेंट एपिगैलोकैटेचिन-3-गैलेट, मूड और तंत्रिका संचार से जुड़ा न्यूरोट्रांसमीटर डोपामिन, ट्रिप्टो फैन और ब्रेन ड्रिवाइड न्यूरोपैथिक फैक्टर (बीडीएनएफ) को एक साथ जोड़ा गया है। सभी चार प्रोटीन मिलने से बने नैनोपार्टिकल्स को ईजीसीजी-डोपामिन-ट्रिप्टोफैन नैनोपार्टिकल्स कहा गया है।

    docter ashok

    शोधार्थी डॉ. जीवन ज्योति पांडा के नेतृत्व में शोध टीम ने इन नैनोपार्टिकल्स पर ब्रेन-डिराइव्ड न्यूरोट्राफिक फैक्टर को भी जोड़ा, जिससे एक उन्नत नैनोप्लेटफार्म तैयार हुआ है। यह न केवल मस्तिष्क में जमा विषैले एमिलाइड बीटा प्रोटीन को साफ करता है, बल्कि न्यूराेन्स के पुनर्जनन और उनकी कार्यक्षमता को भी बढ़ावा देता है।

    एक इलाज से मिलेगी चार समस्याओं से राहत

    शोधकर्ता डॉ. जीवन ज्योति के अनुसार यह तकनीक अल्ज़ाइमर की चार प्रमुख समस्याओं पर काम करेगी। जिसमें एमिलाइड जमाव, आक्सीडेटिव तनाव, सूजन और तंत्रिका कोशिकाओं के क्षय अहम है। इन सभी समस्याओं के एक साथ आने से इंसान को पुरानी बातें भूलना शुरु हो जाता है। इसी प्रकार से उसकी स्मरण शक्ति भी कमजोर हो जाती है वह सामान्य इंसान की तरह सोचने और उसे याद रखने में नाकाम साबित होता है। इसी स्थिति को अल्जाइमरक की गंभीर स्थिति भी कहा जाता है।

    docter ashok with team

    याददाश्त और सीखने की क्षमता में हुआ सुधार

    नैनो पार्टिकल पर प्री क्लीनिकल ट्रायल करने वाले नाइपर रायबरेली के डॉ. अशोक ने बताया कि प्रयोगशाला परीक्षण और चूहे के माडल्स में इस थेरेपी से याददाश्त और सीखने की क्षमता में सुधार देखा गया है। सीखने और याद रखने की प्रक्रिया के अलावा अल्जाइमर से ग्रस्त मस्तिष्क में सूजन कम हुई और कोशिकाओं के अंदर संतुलन बहाल हुआ। प्री क्लिनिकल ट्रायल के बाद पेंटेट भारत सरकार की मंजूरी के लिए फाइल किया जा चुका है और इसके क्लिनिकल ट्रायल की तैयारी भी शुरु कर दी है।

    jivan jyoti