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    मां पाकिस्तानी और पिता पंजाबी, केंद्र ने नाबालिग बेटों को OCI कार्ड देने से किया इनकार; जानिए क्या है अजीब मामला

    Updated: Mon, 12 Aug 2024 10:55 PM (IST)

    Punjab News भारत के महावाणिज्य दूतावास ने इस आधार पर भारत का विदेशी नागरिक (ओसीआई) के लिए उनके आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि याचिकाकर्ताओं की मां पाकिस्तान की नागरिक थीं। हाईकोर्ट के जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने केंद्र सरकार को इस मामले पर विचार करने के लिए कहा है। इसके लिए 12 सप्ताह का समय दिया है।

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    Punjab News: आईओसी कार्ड मामले में हाईकोर्ट ने केंद्र को विचार करने का दिया आदेश।

    दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। दो बच्चे जिनकी मां पाकिस्तान की नागरिक थी और पिता भारत का नागरिक था उनके भारत का विदेशी नागरिक कार्ड (ओसीआई) के आवेदन पर विचार करने का हाईकोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया है। जोड़े के विवाह से जन्मे दो नाबालिगों जिनमें मां पाकिस्तान की पूर्व नागरिक थी और पिता पंजाब के मूल निवासी थे, लेकिन अब दोनों के पास हांगकांग (विशेष प्रशासनिक क्षेत्र, चीन) की नागरिकता है।

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    भारत के महावाणिज्य दूतावास ने इस आधार पर भारत का विदेशी नागरिक (ओसीआई) के लिए उनके आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि याचिकाकर्ताओं की मां पाकिस्तान की नागरिक थीं। हाईकोर्ट के जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने केंद्र सरकार को इस मामले पर विचार करने के लिए कहते हुए कहा है।

    भले ही नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7 (ए) (1) का दूसरा परविधान किसी व्यक्ति को भारत का विदेशी नागरिक कार्ड धारक होने का दावा करने के लिए अयोग्य घोषित करता है, जब माता-पिता दादा-दादी में से कोई भी पाकिस्तान का नागरिक हो या रहा हो।

    दोनों के पास हांगकांग की नागरिकता

    हालांकि, धारा 7 (ए) (3) केंद्र सरकार को मामले पर विचार करने और किसी व्यक्ति के भारत के विदेशी नागरिक के रूप में पंजीकरण को स्वीकार करने या अस्वीकार करने के बारे में आदेश पारित करने का विवेक प्रदान करती हैइस मामले में याचिकाकर्ताओं के पिता ने हांगकांग, चीन की नागरिकता प्राप्त की थी।

    हांगकांग में काम करते हुए, याचिकाकर्ताओं के पिता परमदीप सिंह सरन ने 23 अप्रैल, 2005 को नैयर जिया के साथ विवाह किया। याचिकाकर्ताओं की मां एक पाकिस्तानी नागरिक थीं, लेकिन उनका जन्म नवंबर 1982 में हांगकांग में हुआ था।

    उन्होंने अक्टूबर 2006 में अपनी पाकिस्तानी राष्ट्रीयता त्याग दी थी और 18 अक्टूबर, 2006 को हांगकांग-चीन के नागरिक के रूप में राष्ट्रीयकृत हुईं।

    मां पाकिस्तानी नागरिक

    दोनों याचिकाकर्ता हांगकांग में पैदा हुए थे। चूंकि याचिकाकर्ताओं के पिता लुधियाना जिले के अकालगढ़ गांव में पंजाब के स्थायी निवासी हैं, इसलिए उनकी ओर से ओसीआई कार्ड जारी करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया था, लेकिन हांगकांग में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने इस आधार पर उक्त आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता की मां पाकिस्तान का नागरिक है।

    ओसीआई कार्ड के लिए निर्देश मांगने वाली हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में, उनके वकील ने तर्क दिया कि केंद्र सरकार नागरिकता अधिनियम की उप-धारा 3 विशेष रूप से निर्धारित करती है कि केंद्र सरकार संतुष्ट है और कोई विशेष परिस्थिति मौजूद है, तो परिस्थितियों को लिखित रूप में दर्ज करने के बाद, किसी व्यक्ति को भारत के विदेशी नागरिक कार्डधारक के रूप में पंजीकृत कर सकती है।

    हाईकोर्ट ने दिया 12 सप्ताह का समय

    सभी पक्षों को सुनने के बाद, हाई कोर्ट ने माना कि चूंकि वर्तमान मामले में महावाणिज्य दूतावास ने उपरोक्त अभ्यास नहीं किया , इसलिए विदेश मंत्रालय को आवेदन को आगे बढ़ाना होगा और उसके बाद यह निर्णय लेना होगा कि क्या कोई विशेष परिस्थितिया मौजूद हैं, जो याचिकाकर्ताओं को ओसीआई कार्ड धारक के रूप में पंजीकृत करने की अनुमति दे सकती हैं।

    हाईकोर्ट ने मंत्रालय को 12 सप्ताह की समय सीमा देते हुए इस पर निर्णय लेने का आदेश दिया।

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